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भारतीय चुनाव प्रक्रिया से ट्रंप प्रभावित, बड़े बदलावों का ऐलान

इंटरनेशनल डेस्क

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश की चुनाव प्रक्रिया में अहम बदलाव लाने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी किया है। इस आदेश में मतदाता सत्यापन, मतदान प्रक्रिया, मतगणना और वोटिंग के तरीकों में सुधार की बात कही गई है। इस निर्णय को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है, क्योंकि ट्रंप ने भारत की चुनावी प्रणाली की तारीफ करते हुए इसे अपने आदेश में संदर्भित किया है।
ट्रंप के आदेश में भारत का जिक्र क्यों?
ट्रंप पहले भी कई बार भारत की वोटिंग प्रणाली की सराहना कर चुके हैं। इस आदेश में भारत और ब्राजील का उल्लेख उन्नत मतदाता पहचान प्रणाली लागू करने वाले देशों के रूप में किया गया है। ट्रंप का मानना है कि भारत की चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और संगठित है, जिससे अमेरिका भी सीख सकता है।

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अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया में क्या बदलाव चाहते हैं ट्रंप?

  1. नागरिकता प्रमाण देना होगा अनिवार्य
    ट्रंप के आदेश के तहत अब संघीय चुनावों में मतदान करने के लिए अमेरिकी नागरिकता का दस्तावेजी प्रमाण देना आवश्यक होगा। इसके लिए पासपोर्ट या सरकारी आईडी प्रस्तुत करनी होगी। इसके अलावा, अमेरिकी संघीय एजेंसियां चुनाव अधिकारियों के साथ डेटा साझा करेंगी ताकि गैर-अमेरिकी नागरिकों की पहचान की जा सके।
    कठिनाईः
    इस आदेश को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कई अमेरिकी नागरिकों के पास जन्म प्रमाणपत्र या अन्य नागरिकता दस्तावेज नहीं होते। ब्रेनन सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 9þ अमेरिकी मतदाताओं के पास यह दस्तावेज नहीं है, जिससे वे मतदान से वंचित हो सकते हैं।
  2. मतदान एक ही दिन में पूरा हो, डाक मतपत्र सीमित हों
    नए आदेश के अनुसार, मतदान प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी होनी चाहिए और डाक मतपत्र केवल मतदान दिवस तक ही स्वीकार किए जाने चाहिए। वर्तमान में अमेरिका के कई राज्यों में चुनाव के बाद भी डाक मतपत्र स्वीकार किए जाते हैं, जिससे नतीजों में देरी होती है।
    कठिनाईः
    यह प्रस्ताव संवैधानिक बाधाओं में फंस सकता है क्योंकि अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करने का अधिकार राज्यों के पास है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
  3. मतगणना प्रक्रिया में बदलाव
    ट्रंप के आदेश में चुनाव आयोग से वोटिंग सिस्टम की गाइडलाइंस बदलने की बात कही गई है। इसमें उन मतपत्रों पर रोक लगाने की बात शामिल है, जिनमें बारकोड या फत् कोड का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रंप का कहना है कि मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए।
    कठिनाईः
    अमेरिका में प्रत्येक राज्य अपने हिसाब से चुनाव प्रक्रिया संचालित करता है। ऐसे में संघीय स्तर पर बदलाव करना मुश्किल होगा, क्योंकि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है।

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भारत से प्रेरणा क्यों?
भारत में मतदान के दौरान पहचान सत्यापन के लिए वोटर आईडी या आधार कार्ड जैसे दस्तावेज अनिवार्य होते हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) का उपयोग किया जाता है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। अमेरिका में अब तक ऐसी कोई संघीय व्यवस्था नहीं थी, जिससे चुनावी धांधली की आशंका बनी रहती थी।
आदेश लागू करने की चुनौती
संविधान के अनुसार, अमेरिका में चुनावों की जिम्मेदारी राज्यों की होती है। ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई राज्य इन आदेशों का पालन नहीं करता है, तो उसकी संघीय फंडिंग रोक दी जाएगी। हालांकि, यह आदेश कानूनी विवादों में घिर सकता है और इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
निष्कर्ष
ट्रंप प्रशासन का यह कार्यकारी आदेश अमेरिकी चुनाव प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव लाने की कोशिश है। हालांकि, इसे लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि यह संवैधानिक सीमाओं को लांघ सकता है। अमेरिका में विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस आदेश की कड़ी आलोचना की है, जबकि ट्रंप समर्थकों ने इसे चुनावी पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आदेश कितनी कानूनी चुनौतियों का सामना करता है और अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया पर इसका क्या असर पड़ता है।

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