Saturday, July 12, 2025
Homeविधि एवं न्यायपटरियों पर दुकान लगाने वाले पति की बीएमडब्ल्यू या ऑडी कार मांग...

पटरियों पर दुकान लगाने वाले पति की बीएमडब्ल्यू या ऑडी कार मांग वाली शिकायत पर आश्चर्य

-कहा, ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज कराने वाले अपने और समकक्ष की वित्तीय स्थिति से अनजान

प्रयागराज(हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज की मांग के बढ़ते मामलों पर आश्चर्य जताते हुए गम्भीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि आजकल दहेज की मांग वाली शिकायतों को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। पटरियों के किनारे दुकान लगाने वाले पतियों पर बीएमडब्ल्यू या ऑडी कार की मांग करने का आरोप लगाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शिकायतों में आरोपित की कमाई और उसकी वित्तीय स्थिति की अनुकूलता में मेल नहीं है। ऐसी झूठी कथित मांग वाली शिकायतें दिनोदिन बढ़ती जा रही हैं। अदालतों को ऐसे मामलों में फैसला करते हुए अजीब स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी शिकायतें अकल्पनीय ही नहीं मजाक के साथ आश्चर्यचकित करने वाली हैं।

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीशी की खंडपीठ ने अपनी इस टिप्पणी के साथ ही साजिद की ओर से सजा के खिलाफ दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए शिकायतकर्ता शहजाद अली की अपील को खारिज कर दिया है।

हापुड़ के सत्र न्यायाधीश-एफटीसी ने साजिद को घरेलू हिंसा, दहेज हत्या के प्रयास सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं और दहेज उत्पीड़न का दोषी पाते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। जबकि, अपीलकर्ता-शिकायतकर्ता शहजाद अली की शिकायत को सही नहीं मानते हुए दहेज उत्पीड़न के आरोपितों साजिद के पिता नजाकत अली, मां जैतून और भाई जाकिर को बरी कर दिया था। शहजाद ने इन तीनों को बरी किए जाने को और साजिद ने अपनी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

कोर्ट ने कहा कि शिकायत कर्ता शहजाद अली परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति है। जो यह मानता है कि उसकी मासिक आमदनी 18-20 हजार रूपये ही है। इन स्थितियों में वह अपनी बेटी के नाम प्लॉट पर प्लॉट खरीद रहा है, जो अकल्पनीय है। वह इस मासिक आय के स्रोत से नहीं खरीदा जा सकता है। कोर्ट ने शहजाद अली की अपील में पाया कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपितोंं नजाकत, जैतून और जाकिर को बरी कर सही किया है। लिहाजा, कोर्ट ने शहजाद की अपील पर ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। जबकि, कोर्ट ने साजिद की अपील में ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही नहीं माना और कहा कि साजिद के खिलाफ दिया गया फैसला एकतरफा और गलत है। लिहाजा, उसे रद्द किया जाता है।

मामले में शहजाद ने अपनी बेटी नजराना की शादी साजिद से की थी। शादी में शिकायतकर्ता ने 51 हजार रुपये नकद एक मोटरसाइकिल, सोने चांदी के गहने, लकड़ी और लोहे के अन्य घरेलू सामान दिए थे। लेकिन साजिद और उसके परिवार के लोग खुश नहीं थे और उससे दहेज की मांग करते थे।

शिकायत के मुताबिक दहेज के लिए उसकी पुत्री के शरीर पर केरोसीन तेल छिड़कर आग लगा दी। मामले की प्राथमिकी हापुड़ के सिंभावली थाने में आईपीसी की धारा 498 ए, 307, 323/34 और डीपी एक्ट के तहत दर्ज हुई थी। ट्रायल कोर्ट ने पति साजिद को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ सजा सुनाई थी। जबकि परिवार के बाकी सदस्यों को बरी कर दिया था। साजिद ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।

आर.एन/दिलीप

RELATED ARTICLES

Most Popular