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जानें कलश स्थापना का मुहूर्त

आज हाथी पर सवार होकर आएंगी ‘आदि शक्ति’

धर्म कर्म डेस्क

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। शहर के प्रमुख मंदिरों से लेकर घरों जगत जननी जगदंबा स्वागत की तैयारियां हो गई है। सभी मंदिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है। सुबह भोर पहर से ही मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ेगा, जिसे संभालने के लिए मंदिरों में बेरीकेडिंग लगाई गई हैं। मां के श्रृंगार के लिए देवी मंदिरों के पास डिजाइनर चुनरी, पूजन सामग्री की जमकर बिक्री हो रही है। कानपुर के प्राचीन मंदिरों में शुमार बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी मंदिर, हटिया स्थित बुद्धा देवी, बारादेवी, शास्त्री नगर स्थित काली मठिया, गोविंद नगर स्थित दुर्गा व बंगाली मोहाल स्थित काली मंदिर समेत अन्य मंदिरों में तैयारियां पूरी हो चुकी है। तपेश्वरी मंदिर में नवरात्रि के एक दिन पहले अखंड ज्योति जलाने की श्रद्धालुओं ने बुकिंग कराई, मान्यता है कि मन्नत पूरी होने पर मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाई जाती है।

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कलश स्थापना का यह है शुभ मुहूर्त
उन्होंने बताया कि कलश स्थापना के लिए सुबह 6ः13 बजे से दोपहर 2ः14 तक का मुहूर्त है। सुबह 6ः13 बजे से 10ः22 बजे तक कलश स्थापना की जाएगी। इसके बाद 12ः01 बजे से 12ः50 तक अभिजात मुहूर्त रहेगा। वहीं तीसरा 1ः20 से 2ः15 तक मुहूर्त रहेगा। मां दुर्गा के स्वागत के लिए भक्तों की भीड़ खरीदारी के लिए उमड़ रही है। दुकानदार अमरनाथ गुप्ता, जगदीश व शिवम ने बताया कि बाजार में 10 रुपए से लेकर 250 रुपए तक की चुनरी है, जो आधा मीटर से 2.25 मीटर तक की है। 20 से 40 रुपए तक नारियल व 20 से 150 रुपए तक माता के श्रृंगार का सामान है।

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इस वर्ष है अत्यधिक गर्मी के योग

इस साल वासंतिक नवरात्र के साथ ही विक्रम संवत-2082 की शुरुआत आज रविवार 30 मार्च से हो रही है। इस बार नवसंवत्सर के राजा व मंत्री दोनों सूर्य के होने से लोगों को अत्यधिक गर्मी झेलनी पड़ सकती है। वहीं पेयजल, गुड़, दूध, तेल, गन्ना, फल, सब्जियों, चीनी इत्यादि वस्तुओं की कमी से इनके दाम बढ़ेंगे। ऐसे में जाहिर है मंहगाई में तेजी आने से आम जनता की बेचैनी भी और अधिक बढ़ जाएगी। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा, मान-सम्मान, त्वचा, प्रतिष्ठा, ऊर्जा, नेतृत्व क्षमता और पिता आदि का कारक माना जाता है। वर्ष का शुभारंभ सिंह लग्न में होगा और इसमें गजकेसरी योग व अमृत सिद्धि योग का अद्वितीय संयोग सभी के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। नवसंवत्सर के अवसर पर गुरु और चंद्रमा की युति एक सकारात्मक योग का निर्माण करेगी, जिससे यह वर्ष समृद्धि और भाग्य का संचार करेगा।

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