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इस राज्य ने दोगुना कर दिया ओबीसी आरक्षण

चुनाव के समय राहुल गांधी द्वारा किया गया वायदा हुआ पूरा

राज्य डेस्क

हैदराबाद। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने सांसद और शीर्ष नेता राहुल गाँधी की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना में ओबीसी क्लास को 42 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है। प्रदेश के सीएम रेवंत रेड्डी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि तेलंगाना विधानसभा के नेता और मुख्यमंत्री के रूप में पूरी गंभीरता से घोषणा करता हूं कि हमारे लोगों के सबसे वैज्ञानिक, कठोर और अथक प्रयासों के आधार पर हम कह सकते हैं कि तेलंगाना में ओबीसी आबादी 56.36 प्रतिशत है। अब हम जीवन के सभी क्षेत्रों शिक्षा, नौकरी, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में इस समूह के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण तय करने का संकल्प ले रहे हैं। इतिहास के सही पक्ष पर रहें और हम में से हर एक इस ऐतिहासिक कदम का चैंपियन बने। उन्होंने लिखा कि तेलंगाना को भारत में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व करने पर गर्व है। मुझे गर्व हो रहा है कि भारतीय स्वतंत्रता के बाद से पिछड़े समूहों की सबसे लंबे समय से लंबित मांग, पिछड़ी जातियों से संबंधित हमारे भाइयों और बहनों की आधिकारिक जनगणना में गिनती और मान्यता की इच्छा आखिरकार पूरी हो गई है।

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बता दें कि कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव से पहले ’बीसी घोषणा’ की थी, जिसमें बीसी कोटा को 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का वादा किया गया था। इसके तहत, बीसी समुदाय के लोगों को स्थानीय निकायों में नए राजनीतिक नेतृत्व पद मिलेंगे और सरकारी नागरिक निर्माण और रखरखाव अनुबंधों में भी 42 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री विक्रमार्क ने यह भी कहा कि राज्य सरकार केंद्र पर दबाव बनाएगी ताकि यह विधेयक संसद में भी पारित हो सके, क्योंकि इससे 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होगा। इसके लिए राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं से मिलकर संसद में समर्थन जुटाएगी। उन्होंने ने कहा कि जाति सर्वेक्षण के दौरान छूटे परिवारों के आंकड़े 16 से 28 फरवरी तक स्वीकार किए जाएंगे। ऐसे नागरिक मंडल कार्यालयों और ऑनलाइन टोल फ्री नंबर के माध्यम से सरकार से संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही विक्रमार्क ने बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव और उनके बेटे के टी रामा राव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग सर्वेक्षण से छूट गए थे, उन्हें अब यह अवसर लाभ उठाना चाहिए। विक्रमार्क ने कहा कि जाति सर्वेक्षण के आधार पर राज्य की 56 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्गों (जिसमें मुस्लिम पिछड़े वर्ग भी शामिल हैं) की मांग को कानूनी दर्जा देने की प्राथमिकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र इस कदम को मंजूरी देगा। गौरतलब है कि जाति सर्वेक्षण में 3.5 करोड़ लोग शामिल थे, लेकिन 16 लाख लोग इससे बाहर रह गए क्योंकि वे उपलब्ध नहीं थे या उन्होंने इसमें भाग नहीं लिया। तेलंगाना में पिछड़े वर्गों की आबादी 46.25 प्रतिशत है, इसके बाद अनुसूचित जाति (17.43 प्रतिशत) और अनुसूचित जनजाति (10.45 प्रतिशत) हैं। सरकार पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए भी काम कर रही है।

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