UP News : ज़ुल्म की नाव पार नहीं पार हुआ करती
कानपुर (हि.स.)। जो बात आमजन तक नहीं पहुंच पाती उन बातों को कवि बड़ी ही सहजता से पहुंचा देते हैं चाहे वह किसी भी क्षेत्र की बात हो। ऐसा ही सोमवार को हुए कवि सम्मेलन में आचार्य डा. रामसिंह विकल ने अपनी रचना के जरिये लोगों का मन मोह लिया। उन्होंने कहा ‘प्यार पर प्यार की भरमार हुआ करती है, दिल के दगाबाज पर तलवार हुआ करती है। विकल मानो न मानो तुम्हारी मर्जी, ज़ुल्म की नाव पार नहीं हुआ करती है।
महाराजपुर जीटी रोड पर स्थित सुरजन सिंह इंटर कालेज में सोमवार को कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि मंत्री सतीश महाना के आधिकारिक प्रतिनिधि सुरेंद्र अवस्थी ने कवियों को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करके हुआ। कवि डा. संतोष दुबे ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की- हे माँ वीणा वादिनी वन्दन, चरण कमल रज है चंदन। कवि डा. मनोज गुप्ता ने भगवान राम पर अपना बहुचर्चित गीत पढ़ा। तजकर के त्यागी तेजवान तपकर कुंदन बन जाता है, ऐसे ही कोई एक दिवस में राम नहीं बन जाता है। अपने तन का रोया रोया कर रहा मनोज तुम्हारे नाम, हे राम तुम्हे शत शत प्रणाम ! हे राम तुम्हे शत शत प्रणाम !!कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए हास्य कवि आदित्य विक्रम ने रचना पढ़ी -वह मेरी पत्नी को आंटी कह कर बुला रही थी। साथ में मंद मंद मुस्कुरा रही थी। जले पर नमक छिड़के जा रही थी। मेरी पत्नी का नहीं मेरा गुस्सा बढ़ा रही थी। लखनऊ से आयी श्रृंगार रस की युवा कवियत्री पूर्णिमा मिश्रा ने गजल पढ़ते हुए कहा – उनकी हिज़्र-ए-तन्हाई का हिसाब लिखते हैं, मोहब्बत करने वालों के ज़ज्बात लिखते हैं। कैसे सहते होंगेगे ये जमाने भर का सितम, यही सोच कर इनके ज़ज्बे को सलाम लिखते हैं। कवि मुकेश श्रीवास्तव ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर रचना पढ़ी – बिन कोर्ट गये काफिला मोड़ेंगे नहीं हम, हमें पप्पू न समझो कुर्सी छोड़ेंगे नहीं हम। इस दौरान प्रधानाचार्य विनय प्रताप सिंह, सत्यार्थ विक्रम, नवाब सिंह, कमलेश द्विवेदी, अरविंद कुमार, विनय मिश्र आदि मौजूद रहें।