UP News : जिला प्रशासन को बेसिक शिक्षा बोर्ड के काम में दखल का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट
प्रयागराज (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि प्रशासन के हस्तक्षेप से मुक्त करने व चेक बैलेन्स कायम रखने के लिए बेसिक शिक्षा कानून एक पूर्ण कानून है। इसके अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता व संचालन के लिए अलग प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। कमिश्नर या जिला प्रशासन को बेसिक शिक्षा बोर्ड के कार्य में हस्तक्षेप करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। सरकार को सीमित अधिकार दिया गया है। इसलिए नियुक्ति में अनियमितता के मामले की कमिश्नर को जांच का आदेश देने का अधिकार नहीं है।
राज्य सरकार की इस दलील को कोर्ट ने खारिज कर दी कि कमिश्नर ने ह्विसिल ब्लोवर की तरह कार्य करते हुए जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने कमिश्नर आजमगढ़ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा की गयी नियुक्तियों की चार सदस्यीय कमेटी से जांच कराने के आदेश को अवैध व क्षेत्राधिकार से बाहर करार दिया है। तथा कमेटी की जांच रिपोर्ट 18 जनवरी 20 व अधिकारियों व प्रबंध समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर अध्यापकों का वेतन रोकने के बेसिक शिक्षा सचिव के आदेश 17 फरवरी 20 को रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने अध्यापकों को जारी कारण बताओ नोटिस एवं बर्खास्तगी कार्यवाही को भी अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है और कहा है कि सचिव ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने श्री दुर्गा पूर्व माध्यमिक बालिका जामिन व कई अन्य विद्यालयों की प्रबंध समितियों व अध्यापक, प्रधानाध्यापको की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
मालूम हो कि आजमगढ़ जिले में अध्यापकों की नियुक्ति में अनियमितता की जांच के लिए कमिश्नर ने सेवानिवृत होने से छह महीने पहले चार सदस्यीय समिति बना दी। उसने बीएसए कार्यालय के रिकार्ड देखकर बिना याचियों को नोटिस दिये जांच रिपोर्ट पेश कर कार्यवाही की संस्तुति कर दी। कमिश्नर ने इसे अनुमोदन के लिए सचिव को भेज दिया। जिस पर हुई कार्यवाही को चुनौती दी गयी थी।
बहस की गयी कि शिक्षा के लिए अलग कानून है। अनियमितता पर कार्यवाही के लिए प्राधिकारी नियुक्त है। प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। जिसे कोर्ट ने सही माना और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की गयी कमिश्नर व सचिव की कार्यवाही रद्द कर दिया है।