UP News : काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
वाराणसी (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित हो गया। सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की निगरानी याचिका स्वीकृत होने के मुद्दे पर न्यायमूर्ति ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी। बहस सुनने के बाद सिविल जज की अदालत से तलब की गई सभी पत्रावलियों के अवलोकन के बाद सिविल रिविजन के एडमिशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया। उम्मीद जताई जा रही है कि बुधवार को फैसला सुनाया जा सकता है।
अपरान्ह बाद जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका की पोषणीयता पर सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने दलील दी कि सिविल जज का आदेश अंतिम आदेश है। इस आदेश से मेरा अधिकार प्रभावित होता है लिहाजा सिविल जज का आदेश निगरानी योग्य है। उसी आदेश से प्रभावित अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की याचिका ग्रहण कर ली गई है। ऐसे में हमारी निगरानी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया जाए।
प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने इस पर आपत्ति जताते हुए बहस किया कि ये निगरानी याचिका सिविल जज के अंतरवर्ती आदेश के खिलाफ दाखिल की गयी है। इस तरह के आदेश के विरुद्ध सिविल निगरानी याचिका पोषणीय नहीं होती है। इसके बाद दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने पूर्व में सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय के नजीरों को अदालत के सामने रखा। इस मामले में अदालत को तय करना है कि केस सिविल कोर्ट या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में चलेगा। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने मुकदमें की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी। सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था। सिविल जज के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एक जुलाई तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 18 सितंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गयी है। वादमित्र अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने पर आपत्ति जताते हुए इसका विरोध किया है। उनकी दलील है कि सिविल जज का निर्णय अंतरिम आदेश है। इस आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दाखिल नहीं की जा सकती।
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से मुकदमा दायर कर ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील की है। वादमित्र की अदालत में दलील है कि विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है। इसके नीचे विश्वेश्वरनाथ की ज्योर्तिलिंग मौजूद है। मंदिर परिसर के हिस्सों पर मुसलमानों ने आधिपत्य करके मस्जिद बना दिया है। 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। वाद मित्र ने मस्जिद की बाहरी व अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि का पुरातात्विक सर्वेक्षण रेडार तकनीक और खोदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने का अनुरोध किया है।