UP News : आरोग्य देता है सूर्योपासना का पर्व डाला छठ
बलिया (हि. स.)। प्रकृति के संरक्षण सूर्य की उपासना का पर्व डाला छठ इस कोरोना काल में आरोग्य प्रदान करेगा। आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि छठ पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले कंद, मूल व फल व्रतियों संग सभी के लिए इम्यूनिटी बूस्टर साबित होंगे।
सूर्योपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को बिहार से सटे गंगा किनारे बलिया में भी बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैसे तो दो दिन पहले ही नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ पूजन का शुभारंभ हो चुका है। लेकिन नदियों, तालाबों व पोखरों के पास अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देने के साथ मुख्य पर्व की शुरूआत होगी। गुरूवार को खरना के साथ व्रती महिलाएं कठिन पर्व को मनाने में जुटी हैं। कोरोना काल में छठ का महत्व और भी बढ़ गया है। क्योंकि इसमें छठ वेदी पर चढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के फल-फूल मंगाए जाते हैं। बड़ा नींबू समेत अन्य कई प्रकार के फल इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर कोरोना से बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक संजय कुमार सिंह ने कहा कि इस बार छठ पर्व ऐसे समय में मनाया जा रहा है, जब पूरी दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही है। कोरोना से बचने के लिए दो गज दूरी और और मास्क तो जरूरी हैं ही। लोगों को अपनी इम्यूनिटी भी बेहतर बनाए रखनी होगी। इसके लिए छठ में चढ़ाए जाने वाले फल खासे फलदायी होंगे। उन्होंने कहा कि वैसे भी मौसम आजकल दो किस्म का होता है। कभी ठंडी तो कभी गर्मी। इसमें खांसी-जुकाम जकड़ सकता है। इसमें खट्टे फल लाभदायक होते हैं। आयुर्वेद चिकित्सक संजय सिंह ने कहा कि अन्य फल सेब, संतरे, अन्नानास, शरीफा, केला, नासपाती, अमरस, कन आदि भी शरीर को ताकत देते हैं। गन्ना भी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। ये सभी फल छठ व्रती पूजन में इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें कोरोना से बचने में मदद मिलेगी।
सूर्य से मिलने वाली विटामिन डी भी बचाएगी कोरोना से
डाला छठ पर्व मुख्य रूप से सूर्य की उपासना का पर्व है। इसमें मुख्य पर्व के पहले दिन और अंतिम दिन सुबह भी सूर्य को ही अर्घ्य दिया जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा संजय सिंह ने कहा कि सूर्य विटामिन डी का बहुत बड़ा स्रोत है। इसमें सूर्य की पहली किरण अत्यंत प्रभावकारी है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाएं तीन दिन तक उपवास रखती हैं। आयुर्वेद में उपवास भी शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। खरना के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन होता है। करीब 36 घंटे तक का उपवास शरीर के कई रोगों को नष्ट करता है। खासकर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाता है।