UP : आईआईएएसटी ने रचा इतिहास

आईसीएआर मान्यता प्राप्त करने वाला क्षेत्र का पहला संस्थान बना

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। राजधानी के प्रतिष्ठित इंटीग्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएएसटी) को कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार से प्रतिष्ठित आईसीएआर मान्यता मिली है। पिछले 75 वर्षों में आईआईएएसटी इस मान्यता को प्राप्त करने वाला क्षेत्र का पहला संस्थान बन गया है। यह जानकारी देते हुए मीडिया कोआर्डिनेटर मो. जुबैर खान ने बताया कि इस उपलब्धि पर संस्थान के संस्थापक और कुलाधिपति प्रो. सैयद वसीम अख्तर ने पूरी टीम को बधाई दी है। प्रो. अख्तर ने इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा, “यह मान्यता हमारी समुदाय की सेवा और सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है और यह हमारे द्वारा किए गए प्रयासों का प्रतिफल है।” उन्होंने आगे कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह मान्यता हमें और अधिक जिम्मेदार बनाए और हम अपने क्षेत्र में कृषि शिक्षा को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकें।” कुलाधिपति ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “हमें विश्वास है कि इस मान्यता से हमारे संस्थान की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और उद्योग के प्रमुख सहयोगियों के साथ हमारे संबंध मजबूत होंगे। इससे हम अपने समुदाय और उससे परे सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्षम होंगे।” उन्होंने इस उपलब्धि को संपूर्ण विश्वविद्यालय समुदाय की मेहनत और समर्पण का परिणाम बताया। कुलपति प्रो. जावेद मुसर्रत ने इस मौके पर कहा, “इस ऐतिहासिक क्षण का जश्न मनाते हुए, हम अपने विजन के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं। इस मान्यता ने हमें नई प्रेरणा दी है कि हम अपने शोध कार्य, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और भी बेहतर बनाएं और देश में कृषि क्षेत्र के विकास में योगदान दें।” रजिस्ट्रार एवं निदेशक प्रो. मोहम्मद हारिस सिद्दीकी ने भी शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों को इस सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “इंटीग्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएएसटी) इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का एक प्रमुख संस्थान है, जो कृषि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता के लिए समर्पित है। आईआईएएसटी का उद्देश्य नई तकनीकों और स्थायी कृषि प्रथाओं के माध्यम से किसानों और समुदाय के समग्र विकास में योगदान देना है। यह मान्यता हमारे शिक्षकों और छात्रों के कठिन परिश्रम का परिणाम है। इससे हमें प्रेरणा मिलेगी कि हम आने वाले समय में और अधिक मेहनत और समर्पण के साथ काम करें।”

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