State News : मतगणना को लेकर इष्टदेव के शरण में गए उम्मीदवार, सभी की धड़कनें हुईं तेज
बेगूसराय (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव की अंतिम प्रक्रिया में मतगणना की प्रशासनिक स्तर की तैयारी पूरी की जा चुकी है तो वहीं उम्मीदवारों की धड़कनें तेज हो गयी हैं। क्योंकि मतदाताओं ने जिस प्रकार से वोटिंग की, जैसे रुझान दिए और जैसे चुप्पी साधे रखी है, इसमें किसी के लिए भी विधानसभा पहुंचने की राह आसान नहीं छोड़ी है। जिले के सभी सात विधानसभा क्षेत्र से आमने-सामने की टक्कर में रहे जहां अपने इष्टदेव की शरण में चले गए हैं। पूजा-पाठ का दौर लगातार चल रहा है। मटिहानी के निवर्तमान विधायक और उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह को छोड़कर कोई भी उम्मीदवार सड़क पर नहीं दिख रहे हैं। वोट का ध्रुवीकरण करने में सफल रहे उम्मीदवारों ने भी भगवान की तलाश शुरू कर दी है।
यहां सभी सीटों पर कांटे की टक्कर है और कम से कम पांच सीट महागठबंधन को आने की उम्मीद है। एक सीट पर जदयू और लोजपा में से कोई जीत सकता है तो एक सीट पर निर्दलीय भी बाजी मार सकता है जिसके कारण सभी उम्मीदवार की बेचैनी बढ़ गई है। गांव से लेकर शहर तक के सभी चाय-पान दुकानों, चौक-चौराहा, बैठका पर जीत-हार की चर्चा और मिले वोट का गुणा-भाग कर किसी को जिताया जा रहा है तो किसी की जमानत भी जब्त हो रही है। बैठै-बैठे सरकार भी बनायी जा रही है। अधिकतर लोगों का कहना है कि लोग इस बार बदलाव के मूड़ में हैं और 15 साल से सत्ता पर काबिज एनडीए के बदले महागठबंधन की सरकार बनेगी। तेजस्वी यादव ने नौकरी का जो डाटा पेश किया है, इससे बेरोजगारों और युवाओं का झुकाव महागठबंधन के पक्ष में हुआ।
जिले की पांच सीट पर महागठबंधन हर हाल में जीतेगी। महागठबंधन यहां से पांच सीट जीतती है और इसकी सरकार बनती है तो जिले के हिस्से में दो मंत्री पद आएंगे। नौकरी के साथ-साथ शिक्षा की व्यवस्था दुरुस्त करने की घोषणा बेहतरीन साबित हो सकती है। एनडीए हार रही है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और स्थानीय सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जिम्मेदार होंगे। टिकट वितरण में किया गया खेल, एनडीए की नाव बेगूसराय में डुबो देगी। एनडीए ने चुनाव प्रचार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। स्टार प्रचारकों की दो दर्जन से अधिक सभाएं हुईं लेकिन जितनी भीड़ तेजस्वी यादव में जुटी, वह किसी में नहीं दिखी और भीड़ का जोश बता रहा है कि महागठबंधन की जीत सुनिश्चित है।
हालांकि एनडीए समर्थक कार्यकर्ता सभी सातों सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं। इन लोगों ने का कहना है कि जिले में पुरुष से अधिक महिलाओं ने वोटिंग किया है। नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने हर घर में गैस और बिजली पहुंचा दी है। बड़े पैमाने पर पक्के मकान बनाए जा रहे हैं, हर घर शौचालय दिया गया। कोरोनाकाल में सभी को अनाज और पैसे दिए गए हैं, जो एनडीए के लिए वरदान साबित होगा। महिलाओं ने ना केवल अधिक वोट किया, बल्कि अपने परिवार को भी एनडीए को वोट देने के लिए मजबूर कर दिया। मतदाताओंं की यह चुप्पी इतिहास बदलने वाला साबित हो सकता है। फिलहाल सबकी निगाहें मतगणना पर टिकी हुई हैं और देखना है की मंगलवार की शाम किन सात लोगों के सिर पर सजता है ताज और कौन-कौन से 97 उम्मीदवार का क्या होता है हाल। क्योंकि बिहार विधानसभा का यह चुनाव ना केवल बिहार, बल्कि देश के संभावित राजनीति की दिशा और दशा तय करेगा।