गोसेवा के जरिए धमाकेदार कमाई का अवसर
नकारात्मक आर्थिक माहौल में भी गोसेवा है आशाजनक
प्रादेशिक डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत अब गोसेवा करके प्रतिमाह हजारों रुपए कमाने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। यह योजना उन पशुपालकों, किसानों और अन्य इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक नया आय का स्रोत बन चुकी है, जिनके पास गाय पालने की जगह है या वे पशुपालन से जुड़े हैं। इस योजना का उद्देश्य बेसहारा गायों की देखभाल करके देशी नस्लों के संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
गोसेवा की योजना का परिचय
उत्तर प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना शुरू की है। इस योजना के तहत इच्छुक व्यक्ति को अधिकतम 4 बेसहारा गायें प्रदान की जाती हैं। इन गायों के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 1500 रुपये प्रति गाय सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा किए जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति 4 गायों की देखभाल करता है, तो उसे कुल 6000 रुपये प्रतिमाह के रूप में आर्थिक सहायता प्राप्त होगी। सरकार का यह कदम न केवल बेसहारा गायों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि इससे ग्रामीण पशुपालकों की आय बढ़ाने और देशी नस्लों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जाएगा। इस योजना के माध्यम से सड़कों पर घूम रही बेसहारा गायों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बल मिलेगा।
गोसेवा के जरिए होने वाला आर्थिक लाभ
गोसेवा की इस योजना का मुख्य आकर्षण है प्रतिमाह 6000 रुपये तक की आर्थिक सहायता। यह राशि हर उस व्यक्ति के लिए एक स्थायी आय का जरिया बन सकती है, जो पशुपालन में रुचि रखता है। आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की चुनौतियों के बीच, यह योजना ग्रामीण इलाकों में एक सकारात्मक संदेश देती है कि सही दिशा में उठाए गए कदम से आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि योजना सही तरीके से क्रियान्वित की जाती है, तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ घरेलू उद्योगों, जैसे कि दूध उत्पादन और दुग्ध से संबंधित व्यवसायों को भी प्रोत्साहित करेगी। साथ ही, इस योजना से गरीब और कुपोषित परिवारों को दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी, जिससे समाज में पोषण स्तर में सुधार आएगा।
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गोसेवा में भाग लेने की शर्तें और आवेदन प्रक्रिया
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ आवश्यक पात्रता व शर्तें निर्धारित की गई हैं। आवेदन करने वाले व्यक्ति को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना अनिवार्य हैः
यूपी का निवासी होनाः आवेदनकर्ता का उत्तर प्रदेश का निवासी होना आवश्यक है, ताकि राज्य सरकार की नीति का सीधा लाभ उन्हीं तक पहुंच सके।
पशु रखने का स्थानः आवेदक के पास गायों की देखभाल करने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
गोपालन का अनुभवः पशुपालन में अनुभव होना आवश्यक है, जिससे गायों की उचित देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
बैंक खाताः आवेदनकर्ता के पास आधार से लिंक कोई राष्ट्रीय बैंक में बचत खाता होना चाहिए।
अधिकतम 4 गायेंः लाभार्थी को अधिकतम 4 बेसहारा गायें दी जाएंगी; बछियों को गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा।
गायों का संरक्षणः लाभार्थी को गायों को बेचना या छुट्टा छोड़ना सख्त मना है।
प्राथमिकताः दुध समितियों से जुड़े लोगों और पशु मित्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
आवेदन प्रक्रिया में इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित प्रारूप में आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड और बैंक पासबुक की कॉपी के साथ आवेदन करना होगा। चयन प्रक्रिया जिला प्रशासन द्वारा की जाती है। आवेदन करने के इच्छुक व्यक्ति संबंधित जिला पशुपालन कार्यालय या गोशाला के संयुक्त निदेशक से संपर्क कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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सामाजिक और सांस्कृतिक फायदे
इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह ग्रामीण समाज में गोसेवा के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देती है। गोसेवा केवल आर्थिक लाभ का जरिया नहीं है, बल्कि यह देशी गायों के संरक्षण और पारंपरिक पशुपालन संस्कृति के पुनरुद्धार में भी अहम भूमिका निभाती है। गायें भारतीय संस्कृति में पूजनीय हैं और उन्हें सामाजिक संरचना का एक अभिन्न अंग माना जाता है। बेसहारा गायों की देखभाल करने से न केवल आर्थिक रूप से लाभ होता है, बल्कि यह ग्रामीण समुदाय में सहअस्तित्व, सहयोग और सामाजिक एकता की भावना को भी मजबूत बनाता है। यह पहल ग्रामीण जीवन में स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ, पशुपालन से जुड़े व्यवसायों को भी प्रोत्साहित करेगी।
गोसेवा के जरिए संभावित परिवर्तन
उत्तर प्रदेश सरकार की यह नई पहल, गोसेवा के जरिए आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजना, वर्तमान आर्थिक चुनौतियों में ग्रामीण समाज के लिए एक आशाजनक संदेश है। जब बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता के दौर में लोग नए आय स्रोतों की तलाश में हैं, तो यह योजना उनके लिए एक नया रास्ता खोलती है। इस योजना से बेसहारा गायों की सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ-साथ, देशी नस्लों का संरक्षण भी होगा। ग्रामीण पशुपालकों की आय में सुधार, गरीब परिवारों के लिए दूध की उपलब्धता, और सामाजिक एकता के संदेश से यह योजना एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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