Kanpur News : कोविड की भांति जल संकट के लिए एकजुट हो विश्व : गजेन्द्र सिंह शेखावत

– अर्थ गंगा अभियान से बढ़ेगा आर्थिक विकास और पारिस्थितिक संरक्षण

कानपुर (हि.स.)। विश्व के सभी देशों में जल संकट बराबर गहराता ही जा रहा है और इस पर वैश्विक पटल पर चर्चा भी हो रही है। इसके निदान के लिए जिस प्रकार कोविड की लड़ाई में विश्व भर के देश एकजुट दिखे वैसे ही जल संकट को दूर करने के लिए एकजुट होना चाहिये। हालांकि भारत में अर्थ गंगा अभियान के तहत पारिस्थितिक संरक्षण के साथ आर्थिक विकास भी बढ़ रहा है। यह बातें केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने “अर्थ गंगा“ नदी संरक्षण समन्वित विकास के कार्यक्रम में कही।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में पांच दिवसीय वर्चुअल के माध्यम से 5वें इंडिया वाटर इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन (आईडब्ल्यूआईएस) का आयोजन किया गया। यह आयोजन नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और आईआईटी के गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जल क्षेत्र में सरकार की पहल के बारे में बताया और लोगों की भागीदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने विकास के साथ तालमेल के लिए नदी संरक्षण के लिए अर्थ गंगा की गहन समझ पर भी जोर दिया और भारत में आर्थिक विकास और पारिस्थितिक संरक्षण के एक साथ आगे बढ़ने के लिए बन रहे नए माहौल की सराहना की। उन्होंने शहरी प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण और जल केंद्रित जन आंदोलनों से लेकर वर्षा जलसंचयन और भूजल प्रबंधन तक विभिन्न माध्यमों से नदी संरक्षण को समन्वित करने के सरकारी प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही इस सम्मेलन को वैचारिक महाकुंभ के समान बताया। 
उत्तराखण्ड से नहीं आ रही प्रदूषित धारा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में गंगा में बहने वाली अधिकांश प्रदूषित धाराओं को रोक दिया गया है और गंगा की सहायक नदियों का संरक्षण अब तेजी से हो रहा है। बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार की भौगोलिक स्थिति और नदी की सिल्टेशन समस्याओं के कारण बिहार में बाढ़ प्रबंधन की समस्याओं की व्याख्या की, और एक राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति की मांग की। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने स्थानीय स्तर पर वर्षा जल संरक्षण से अधिकांश स्थानीय पानी की जरुरतें हल हो सकती हैं। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने गंगा के साथ सभी नदियों के संरक्षण और स्थायी समाधान के लिए हमारी जीवन शैली को बदलने पर जोर दिया। विकास और नदी संरक्षण एक सिक्के के दो पहलू
सीगंगा प्रमुख प्रो. विनोद तारे ने कहा कि “विकास“ और “नदी संरक्षण“ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अर्थ गंगा दोनों पहलुओं को एक साथ स्वीकार करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थ-गंगा एवं वॉकल फॉर लोकल जैसे मंत्रों के माध्यम से नदी संरक्षण से जुड़े हुए जटिल सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों को आसानी से समझा जा सकता है। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने नदियों के निर्मलता को बनाए रखने के लिए स्थायी बुनियादी ढांचों का निर्माण तेज करना चाहिये। नीदरलैंड्स स्थित डेल्टारेस के कीस बोन्स ने 2008 बिहार बाढ़ के बारे में बताते हुए नदियों के मार्ग मे परिवर्तन के साथ नदी की स्थिरता मे तलछट (गाद) की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की।यह रहे सुझाव 
सम्मेलन में वक्ताओं ने सुझाव दिया कि स्थायी ऊर्जा उत्पादन और पर्यटन के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और नदी संरक्षण का विकास किया जाये।फसल विविधीकरण और अंतर-फसल, एकीकृत खेती, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, सूक्ष्म सिंचाई, बागवानी संवर्धन, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, सामुदायिक खेती मे उपयोगी संसाधनों का विकास, और कृषि उपज में पानी और बिजली के मूल्य समावेश के जरिये कृषि को सुधार किया जाये। गंगा डॉल्फिन जैसी प्रमुख प्रजातियों के लिए सुरक्षा उपायों के साथ सतत नदी नेविगेशन विकास सुनिश्चित किया जाये। पर्यावरणीय समस्याओं को पूरा करने के लिए तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा दिया जाये। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने लिया भाग
शिखर सम्मेलन में हजार से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों, एवं विशेषज्ञों ने छोटी नदियों और जलनिकायों के व्यापक और समग्र प्रबंधन समन्वित विकास पर चर्चा की गयी। चर्चाओं में अर्थगंगा” के सिद्धांत पर उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और बिहार के प्रमुख विकास क्षेत्रों ऊर्जा, पर्यटन, मानव बंदोबस्त, कृषि, नेविगेशन और बाढ़ प्रबंधन पर नदी संरक्षण के साथ समन्वित रुप से कैसे कार्य किया जावे पर विचार मंथन किया गया।​

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