Gonda News : भगत सिंह के जन्म दिन पर विविध कार्यक्रमों की धूम

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। शहीदे आजम सरदार भगत सिंह के जन्म दिन पर जिले में विविध कार्यक्रमों की धूम रही। सत्य संस्था द्वारा क्रांतिकारी व देश के प्रति प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह की 113वी जयंती पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए परिचर्चा का आयोजन सिविल कोर्ट कम्पाउंड में किया गया। उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रितेश कमार यादव व संचालन गौरी शंकर चतुर्वेदी ने किया। संस्था के पदाधिकारी धनलाल तिवारी ने कहा कि आज के दौर में लोग चाहते हैं कि कोई भी क्रांतिकारी हमारे घर में न हो, बल्कि बगल वाले के घर में पैदा हो। आज लोगों की भावना यह हो गई है। अजय तिवारी ने कहा कि जिस हिसाब से भगत सिंह का योगदान देश के लिये था, वह सम्मान आज उनको देश मे नही मिल रहा है। सतेन्द्र वर्क ने कहा कि साथी की मृत्यु पर वह इतना बिचलित हुए कि 12 बर्ष की आयु में क्रांति की लौ जला डाली। राम बहाल पांडेय ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। अशोक सिंह ने कहा कि सरकार को शहीदों को नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी इतिहास के बारे में जानकारी रखें। रमेश गुप्ता जी ने कहा कि सीबीएसई बोर्ड में भी पाठ्यक्रमों में शहीद क्रांतिकारियों का नाम भी शामिल किया जाए। आनन्द सिंह ने कहा कि क्रांति की लौ आज भी जलनी चाहिये। इस मौके पर अनिल कुमार पासवान, अंकित तिवारी, अरुण कुमार, शशि मोहन श्रीवास्तव, श्रवन सुनील पांडेय, अभयंकर सिंह, साकेत कुमार मिश्रा, सोनू सिंह, उपेंद्र वर्मा, राम गोपाल पाठक आदि तमाम लोग उपस्थित रहे।
शहर में उनके नाम पर चले रहे इंटर कॉलेज में सोमवार को छात्र नेता अविनाश सिंह के नेतृत्व में विश्वास फाउंडेशन, युवा सोच, तिरंगा फाउंडेशन, परसपुर विकास मंच के संयुक्त तत्वाधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें दर्जनों लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। भगत सिंह की 127वीं जयंती पर कॉलेज में स्थित उनकी प्रतिमा की साफ सफाई कर माल्यार्पण किया गया। अपने सम्बोधन में बंटी श्रीवास्तव ने कहा कि 28 सितंबर 1907 को पंजाब के एक गांव में जन्म लेकर भगत सिंह ने भारत के इतिहास को बदलने का काम किया था। नेचर क्लब के अभिषेक दूबे ने कहा कि भगत सिंह ने जिस आजाद भारत की कल्पना की थी उस प्रकार की आजादी भारत देश को नहीं मिली। रे ऑफ साइंस के राजेश मिश्रा ने कहा कि मात्र 23 साल की उम्र में भगत सिंह जी ने फांसी के फंदे को चूम कर देश को आजादी दिलाई थी, लेकिन आज के युवा 23 साल की उम्र में पब्जी और फेसबुक में व्यस्त रहते हैं। छात्रनेता अविनाश सिंह व कवि मनीष सिंह ने कहा कि कि भगत सिंह आजादी के लिए अपनी जान देने वाले नौजवान शहीदों में अग्रणी थे। हंसते हुए फंदे को अपने गले में डालने के कारण ही भगत सिंह को शहीद-ए-आजम का दर्जा दिया गया। शोएब अख्तर व रवि राज ने कहा कि कि शहीद भगत सिंह न केवल भारत के अपितु विश्व के महान क्रांतिकारी थे। कार्यक्रम में प्रभात वर्मा, प्रतिभा सिंह, अंजलि पाठक, अरुण मिश्रा, अनिल सिंह, शोएब अख्तर, रहमान वारसी, प्रवीण सरोज व कई लोग मौजूद रहे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने शहीदे आजम भगत सिंह इंटर कॉलेज में प्रतिमा की साफ सफाई कर माल्यार्पण किया। जिला संयोजक शिवम पांडे ने बताया 28 सितंबर 1977 को पंजाब के एक गांव में जन्म लेकर भगत सिंह ने भारत के इतिहास को बदलने का काम किया था और आज भी लाखों करोड़ों युवाओं के हीरो भगत सिंह जी ही हैं। हम सभी को भगत सिंह के द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना चाहिए। सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि भगत सिंह ने जिस आजाद भारत की कल्पना की थी उस प्रकार की आजादी भारत देश को नहीं मिली। अध्यक्ष आशीष तिवारी, अवधेश तिवारी, राहुल दुबे, अभिषेक दुबे, दिलीप कुमार, अमन सिंह, शुभम मल्होत्रा, आशीष सिंह रहे।

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