Gonda News: किशोरावस्था में मिले संतुलित और पौष्टिक आहार जरूरी
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किशोर स्वास्थ्य मंच आयोजित
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। जिस तरह से सुरक्षित घर के लिए नींव का मजबूत होना आवश्यक है, बिल्कुल उसी तरह से शरीर को बुढ़ापे तक स्वस्थ और रोगमुक्त बनाए रखने के लिए किशोरावस्था में उचित पोषण बहुत जरूरी होता है। इस उम्र में शरीर को जिस तरह से रखा जाए, उसका असर भविष्य में देखने को मिलता है। किशोरावस्था में शरीर में तमाम प्रकार के बदलाव आने शुरू हो जाते हैं, ऐसे में इस दौरान शरीर को अधिक पोषण और षौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। यह बातें कटरा बाजार सीएचसी के आरबीएसके के चिकित्सक डॉ ओपी यादव ने मंगलवार को जनता लघु माध्यमिक विद्यालय में आयोजित किशोर स्वास्थ्य मंच के दौरान कही।
डॉ ओपी यादव ने कहा कि किशोरावस्था में सही पोषण मिलने से शरीर को ताकत मिलती है, तन और मन स्वस्थ रहता है, शारीरिक परिपक्वता आने में मिलती है तथा रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। किशोरावस्था में शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन हो रहे होते हैं, ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन, कैल्शियम व अन्य पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों का सेवन करना आवश्यक है। किशोरावस्था में संतुलित पोषक आहार का सेवन शरीर को आने वाले समय में हड्डियों की कमजोरी, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह (डायबिटीज) जैसे गंभीर रोग होने से बचाता है। डॉ अरुण कुमार ने कहा कि किशोरावस्था विकास का वह दौर होता है जब लड़के और लड़कियों के वजन, लंबाई और हड्डियों में तेजी से वृद्धि होती है। किशोरावस्था में विशेष रूप से लड़कियों में आयरन की कमी, कुपोषण, कम उम्र में विवाह व गर्भधारण, कृमि संक्रमण, मासिक धर्म, यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (आरटीआइ), सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (एसटीआइ), गैर-संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य व चोटें आदि समस्याएं होती हैं।
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किशोर स्वास्थ्य परामर्शदाता संजय श्रीवास्तव ने बताया कि किशोरियों को प्रोटीन, आयरन, फाइबर, कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थ और पानी का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए। प्रोटीन मांसपेशियों को बनाने और ऊतकों की मरम्मत का काम करता है। दालों, अंकुरित चने, पनीर, दूध और दूध से बने पदार्थों में प्रोटीन मिलता है। वहीं, कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, ब्रोकली से कैल्शियम मिलता है। आयरन की कमी से एनीमिया होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़, चुकंदर, गाजर आदि आयरन के अच्छे स्रोत हैं। इसके साथ ही विद्यालय के प्रधानाचार्य सुशील मिश्रा, फार्मेसिस्ट अलख बहादुर व ऑप्टोमेट्रिस्ट अमरनाथ ने भी अपने-अपने विचय व्यक्त किये द्य यूनिसेफ के बीएमसी मनीष जायसवाल ने किशोर-किशोरियों को हाथ धोने के तरीके और फायदों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान नशावृत्ति पर निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें कुमकुम तिवारी को प्रथम, अर्चना कुमारी को द्वितीय तथा शिखा शुक्ला को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इसके साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकत्री ने किशोरियों को पोषण संबंधी जानकारी दी और पोषण सामग्री का वितरण किया। इस मौके पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक रंजीत सिंह ने बताया कि किशोर-किशोरियों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों में मिलने वाली आयरन की नीली गोलियों का साप्ताहिक सेवन करना चाहिए।
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जानकी शरण द्विवेदी
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