Gonda News:क्षय रोगियों को खोजने की चल रही कवायद, हो रही जियो टैगिंग
जिले में अब तक 40 फ़ीसदी मरीजों का दर्ज हो चुका है लोकेशन
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। जिले का स्वास्थ्य महकमा भी पूरे दमखम से इस कार्य में जुटा हुआ है। स्वास्थ्य टीम दस्तक अभियान के तहत टीबी मरीजों को खोज रही है। टीबी से संक्रमित हर मरीज का पता लगाकर उसका तत्काल उपचार शुरू करने के इन प्रयासों के बीच विभाग ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत टीबी मरीजों की जियो टैगिंग शुरू की गयी है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मलिक आलमगीर ने बताया कि इस कार्य में लगी टीमें टीबी मरीजों के घर जाकर उनका लोकेशन निःक्षय पोर्टल पर दर्ज कर रहे हैं। 12 जुलाई से 25 जुलाई तक जिले में दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। इसमें आशा कार्यकर्ताओं द्वारा संभावित क्षय रोगियों को चिन्हित किया जाएगा तथा ऐसे संभावित रोगियों की टीबी जांच कराई जाएगी। क्षय रोग अधिकारी डॉ मलिक ने बताया कि एक जनवरी 2019 से 30 जून 2021 तक जिले में 12 हजार 206 टीबी रोगी मिले हैं। इनमें 9 हजार 600 मरीज सरकारी व 2 हजार 606 मरीज प्राइवेट अस्पतालों के हैं। इसके अलावा वर्तमान में जिले में कुल 2 हजार 675 टीबी मरीज हैं, जिनका उपचार चल रहा है। इस सभी क्षय रोगियों का जियो टैगिंग करते हुए उनका लोकेशन अपडेट करने का निर्देश शासन द्वारा प्राप्त हुआ है, जिसके क्रम में जिले में यह कार्य स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से शुरू कर दिया गया है। अब तक 4 हजार 809 यानि लगभग 40 फ़ीसदी मरीजों का डाटा जिओ टैगिंग पर अपलोड कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जियो टैगिंग से पता चल जाएगा कि किस क्षेत्र या गांव में क्षय रोगियों की सघनता ज्यादा है, ताकि टीबी रोगी खोजी अभियान के दौरान उस क्षेत्र पर विशेष फोकस किया जा सके।
जियो टैगिंग में जुटे 16 स्वास्थ्य कर्मी :
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक विवेक सरन ने बताया कि टीबी मरीजों के जियो टैगिंग में 16 कर्मचारी लगाए गए हैं, जिसमें 9 सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर, 5 सीनियर ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर व 2 टीबी स्वास्थ्य परिदर्शक शामिल हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की ये टीम निरंतरता से क्षय रोगियों की जियो टैगिंग के कार्य में लगी हुई है और रोगियों के लोकेशन निःक्षय पोर्टल पर दर्ज कर रही है। आगामी 31 जुलाई तक लगभग सभी मरीजों का लोकेशन पोर्टल पर दर्ज कर लिया जाएगा। साथ ही दस्तक अभियान में घर-घर जाकर क्षय रोगियों की खोज कर उनको स्वास्थ्य लाभ दिलाया जाएगा। जियो टैगिंग ऐसी भौगोलिक जानकारी है, जो फोटो, नक्शे और वीडियो के माध्यम से दर्शाई जाती है। इसका आक्षांशीय और देशांतरीय डाटा मरीज के संपर्क में रहने में बहुत मददगार साबित होता है। इनमें अन्य जानकारियों में जगह का नाम और क्षेत्र ही नहीं, बल्कि समुद्र तल से उसकी ऊंचाई तथा किसी स्थान से उसकी दूरी भी शामिल होती है।
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जानकी शरण द्विवेदी
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