Gonda : जिले में 174 संभावित क्षय रोगी चिन्हित
दस्तक अभियान में 16 क्षय रोगियों समेत खोजे गए 500 कुपोषित बच्चे
संवाददाता
गोंडा। जनपद में एक से 31 जुलाई तक चलाए गए संचारी रोग नियंत्रण माह तथा दस्तक अभियान के तहत जिले में 174 संभावित क्षय रोगी चिन्हित किए गए हैं। जांच पड़ताल में 16 क्षय रोगियों की पुष्टि के साथ ही 500 कुपोषित बच्चों का भी चिन्हीकरण किया गया है। यह जानकारी देते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी डा. जय गोविन्द ने बताया कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की टीमें हर घर दस्तक देते हुए डोर टू डोर सर्वे करने के साथ ही बुखार व क्षय रोग (टीबी) के लक्षण वाले मरीज और कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर रही हैं। टीमों ने अब तक क्षय रोग के लक्षण वाले 174 संभावित मरीज और लगभग पांच सौ कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया है। इन सभी का बलगम जांच कराने के साथ ही अन्य क्लीनिकल टेस्ट कराए गये। जांच में सोलह लोग टीबी पॉजिटिव पाए गए। सभी पॉजिटिव मरीजों का उपचार शुरु कर दिया गया है। साथ ही मरीजों का ब्यौरा निःक्षय पोर्टल पर अपडेट कराया जा रहा है। पोर्टल पर अपडेट मरीजों को निःक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपये प्रति माह की प्रोत्साहन राशि उनके बैंक खाते में दी जाती है, ताकि दवा सेवन के साथ वह अपने खानपान और पोषण का भी ध्यान रख सकें। वर्तमान में गोंडा जनपद में क्षय रोग के उपचाराधीन मरीजों की कुल संख्या 3458 है। उन्होंने कहा कि टीबी के नए मरीज खोजने वाली आशा कार्यकर्ताओं को 500 रुपये प्रति मरीज प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं। यह लक्षण दिखें तो टीबी की जांच अवश्य करा लें। कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद भी यदि खांसी आ रही है, तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। जिला समन्वयक विवेक सरन का कहना है कि टीबी रोग को छिपाएं नहीं। लक्षणों के बावजूद अगर कोई बीमारी छिपा रहा है, तो इससे उसके परिवार में भी टीबी के प्रसार का खतरा रहता है। बीमारी छिपाने वालों का समय से इलाज शुरू नहीं हो पाता, इसलिए यह बीमारी खतरनाक रूप अख्तियार करने लगती है। टीबी रोगियों के इलाज में गोपनीयता बरती जाती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि दस्तक अभियान में लगी टीमें घर-घर जाकर मलेरिया, टीबी, सर्दी, जुकाम व बुखार जैसे बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों के लक्षण की जानकारी ले रहे हैं। साथ ही घर में यदि कोई बच्चा है, तो उसकी उम्र के हिसाब से वजन और लम्बाई माप करते हैं। अगर कोई बच्चा उम्र के हिसाब से कम वजन, लम्बाई के हिसाब से कम वजन या उम्र के हिसाब से कम लम्बाई का पाया जाता है, तो इसकी सूचना संबंधित ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा आधिकारी अधीक्षक को देने के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों द्वारा उनकी विशेष देखभाल की जाती है। उन्होंने बताया कि लगभग पांच सौ चिन्हित कुपोषित बच्चों में से 132 बच्चों को चिकित्सीय जाँच, उपचार और पोषण की सही देखभाल के लिए जिला चिकित्सालय स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) में संदर्भित किया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि बारिश के मौसम में घर के आसपास में खुला नाला या जल भराव होने से मच्छरों का लार्वा पैदा होता है। दस्तक अभियान में लगी टीमें घर के अंदर व बाहर निरीक्षण कर मलेरिया विभाग को सूचित कर जल निकासी और दवा के छिड़काव की व्यवस्था सुनिश्चित करती हैं। आशा तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को डेंगू ज्वर, मलेरिया, टाइफाइड, डायरिया, इनफ्लूएंजा, चेचक, हेपेटाइटिस व क्षय रोग के रोकथाम, बचाव और समय पर सही उपचार के बारे में जागरूक कर रही हैं।
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