Gda : आंतरिक टीम ने पूरी की जांच, नर्स दोषी
घटना पर आयुक्त गंभीर, कहा-पांच दिन में जांच कर आख्या दें एडीएम
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। देवीपाटन मण्डल के आयुक्त की सख्ती का नतीजा है कि स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में बीते दिनों एक तीमारदार के साथ हुई मारपीट की घटना की जांच पूरी हो गई है। सूत्र बताते हैं कि मेडिकल कालेज की आंतरिक जांच समिति ने आरोपी स्टाफ नर्स को दोषी पाया है। इस बीच आयुक्त ने बुधवार को पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच अपर जिलाधिकारी से कराकर 30 सितम्बर तक आख्या देने का आदेश जिलाधिकारी को दिया है। मेडिकल कालेज प्रशासन आउट सोर्सिंग पर कार्यरत स्टाफ नर्स के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई किए जाने की तैयारी में है।
नगर कोतवाली क्षेत्र के इमामबाड़ा निवासी महेश निषाद के अनुसार, उन्होंने अपनी भाभी अंजू देवी (40) को इलाज के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया था, लेकिन इलाज के लिए कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं हुआ। ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ नर्स ही उन्हें दवा देती थी। वह हर बार दवा या इंजेक्शन के लिए पैसों की मांग करती रहती थी। दवाएं भी अस्पताल से नहीं मिलती थीं। सभी दवाएं बाहर से मंगवानी पड़ती थीं। सबसे गंभीर बात तब हुई, जब 15 सितम्बर 2024 को मरीज की मौत हो गई। मृतक के भाई ने जब मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा, तो स्टाफ नर्स ने 700 रुपये देने को कहा। पैसे न देने पर स्टाफ नर्स ने बाहरी लोगों को मेडिकल कालेज में बुलाकर परिजनों के साथ मारपीट करवाई। प्रकरण मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर एक सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट तलब किया था। सूत्र बताते हैं कि जांच टीम ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट मेडिकल कालेज प्रशासन को सौंप दी। जांच में स्टाफ नर्स को दोषी पाया गया है। मेडिकल कालेज में लगे सीसीटीवी कैमरों में बाहरी व्यक्तियों के अनधिकृत रूप से अंदर आकर मारपीट करने की पुष्टि हुई है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर चिन्हित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नगर कोतवाली पुलिस को पत्र लिखा है।
इस बीच में आयुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान कथित लापरवाही से मरीज की मौत और रिश्वतखोरी की शिकायत पर कड़ा संज्ञान लिया है। उन्होंने जिलाधिकारी नेहा शर्मा को निर्देश दिए हैं कि वे प्रकरण की विस्तृत जांच अपर जिलाधिकारी से कराएं तथा विलम्बतम 30 सितम्बर तक शिकायत कर्ता के बयान सहित पूरी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एमडब्ल्यू खान ने बताया कि मेडिकल कालेज प्रशासन ने भ्रष्टाचार तथा लापरवाही को बहुत गंभीरता से लिया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, प्रकरण में यथोचित कार्रवाई की जाएगी।
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