गैर इरादतन हत्या में चार सगे भाइयों को सजा
जुआ खेलने के दौरान पांच साल पूर्व हुई थी गैर इरादतन हत्या
गैर इरादतन हत्या मामले में चारों दोषियों को दस-दस साल की सश्रम सजा
ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत मिली सफलता, अभियोजन की प्रभावशाली पैरवी ने दिलाया न्याय
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। जिले की एक अदालत ने गुरुवार को गैर इरादतन हत्या के एक सनसनीखेज मामले में दोष सिद्ध पाए गए चार अभियुक्तों को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने प्रत्येक दोषी पर बारह-बारह हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। यह जानकारी देते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) बसंत शुक्ला ने बताया कि जिले के उमरी बेगमगंज थाना क्षेत्र के ग्राम अमदही में एक अगस्त 2020 को ताश के खेल के दौरान हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था। गांव के ही चार सगे भाइयों राजू, श्रवण, झब्बर और नकछेद पुत्रगण गया प्रसाद ने अपने ही पड़ोसी झूरे पुत्र कल्लू, बसंत पुत्र झूरे और विनोद पुत्र झूरे पर लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर दिया था। हमले में झूरे गंभीर रूप से घायल हो गया और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
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शुक्ला के अनुसार, पीड़ित पक्ष की ओर से स्थानीय थाने पर तत्काल गैर इरादतन हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विवेचक तत्कालीन थानाध्यक्ष उपनिरीक्षक रतन कुमार पाण्डेय ने सभी साक्ष्यों को संकलित करते हुए 27 सितंबर 2020 को सभी आरोपियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। उन्होंने बताया कि सत्र परीक्षण के दौरान सत्र न्यायाधीश अनिता राज ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन करते हुए उभय पक्ष के गवाहों के बयानों तथा अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनकर चारों आरोपियों को गैर इरादतन हत्या (भारतीय दंड संहिता की धारा 304/34 और 506) का दोषी मानते हुए उन्हें दस-दस वर्ष के कठोर कारावास और बारह-बारह हजार रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया। जुर्माने की धनराशि अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतना होगा।
बसंत शुक्ल ने बताया कि गैर इरादतन हत्या के बारे में यह निर्णय ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ के तहत आया है। इस अभियान का उद्देश्य चिन्हित गंभीर मामलों में दोषियों को अधिकतम और त्वरित सजा दिलाना है। अदालत में सुनवाई के दौरान थाना उमरीबेगमगंज के पैरोकार और कोर्ट मोहर्रिर ने भी अहम भूमिका निभाई। यह फैसला जहां पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने वाला है। वहीं यह समाज को यह भी संदेश देता है कि गंभीर अपराधों में संलिप्तता पर कोई भी राहत नहीं मिलने वाली है।
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