Etawa News : महिलाओं ने मनाया महालक्ष्मी पर्व
देवेश शर्मा
इटावा। महालक्ष्मी पर्व श्रद्धा और उत्साह पूर्वक गुरुवार को मनाया गया। महिलाओें ने व्रत रखकर पूर्ण विधिविधान से मिट्टी से बने हाथी का पूजन कर पुत्र, पौत्र, धन, वैभव की कामना करते हुए पूजन किया। भाद्रपक्ष माह के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन महा लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। इसी महत्व को देखते हुए ज्यादातर हिन्दू महिलाओं द्वारा इस व्रत का पालन करते हुए मिट्टी का हाथी बनाकर विधि पूर्वक इसकी पूजा और कथा कहकर व्रत का समापन किया जाता है। इस व्रत के बारे में महेवा के आचार्य साकेत बिहारी दीक्षित बताते है कि महा लक्ष्मी व्रत और उसके पूजन की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। महार्षि व्यास ने हस्तिनापुर में पहुंचकर गांधारी व माता कुन्ती को पुत्र और लक्ष्मी सुख के साथ वैभव पाने के लिये महाक्ष्मी व्रत व पूजन की विधि बताई थी। कथा के अनुसार गन्धारी और कुन्ती ने ही इस व्रत की शुरूआत की थी। उन्होंने बताया कि गन्धारी के सौ पुत्र थे, जिन्होंने थोड़ी थोड़ी मिट्टी लाकर विशालकाय हाथी की प्रतिमा बनाकर अपनी मां को पूजन के लिये सौंपा था। इससे माता कुन्ती दुखी हो गयी थी। तब अर्जुन ने माता कुन्ती से उनके दुख का कारण पूछा था। कुन्ती के यह कहने पर कि गांधारी विशालकाय मिट्टी के हाथी का पूजन व महा लक्ष्मी व्रत का समापन कर रहीं है। इस पर अर्जुन ने अपने बाणों से इन्द्र को सन्देश भेजा था कि मेरी माता के पूजन के लिये एरावत हाथी पृथ्वी पर उतारा जाये। अर्जुन ने धरती से लेकर स्वर्ग तक अपने बाणों का मार्ग बनाया था। जिसपर चलकर एरावत हाथी इन्द्रलोक से उतरकर पृथ्वी पर आया था। इटावा शहर लखना बकेवर कस्बा व ग्रामीण क्षेत्र के सभी गांवों में सुहागिन महिलाओं ने महा लक्ष्मी व्रत का उपवास रख मिट्टी के हाथी का पूजन कर इस व्रत का समापन किया।