COVID-19 वैक्सीन का अधिकतम मूल्य तीन हजार रुपए तय

इंटरनेशनल डेस्क

लंदन/शिकागो। वैक्सीन के अंतिम परीक्षण और उसकी सफलता की उम्मीदों के बीच दुनिया भर के देश इसकी कीमत तय करने में जुट गए हैं। कोरोना पर वैश्विक टीकों के समन्वय का काम कर रहे गावी अलायंस ने इसी दिशा में कदम उठाया है और एक खुराक की अधिकतम कीमत 40 डॉलर यानी करीब तीन हजार रुपए तय की है।
टीकों के दुनिया भर में उचित बंटवारे के लिए बने कोवैक्स सुविधा केंद्र के सह प्रमुख और गावी वैक्सीन अलायंस के सीईओ सेथ बर्कले ने मंगलवार को कहा कि सैद्धांतिक तौर पर अधिकतम 40 डॉलर कीमत तय की गई है, हालांकि गरीब देशों को इसे कम कीमत पर मुहैया कराने पर विचार-विमर्श जारी है। यूरोपीय संघ के सूत्रों का कहना है कि अमीर देशों के लिए इसकी अधिकतम कीमत करीब 40 डॉलर रखी गई है। यूरोपीय संघ कोवैक्स योजना से अलग भी टीके की सस्ती खुराक पाने में जुट गया है। कोवैक्स गावी, विश्व स्वास्थ्य संगठन और आपदा प्रबंधन के वैश्विक संगठन सेपी का समन्वित प्रयास है, जो कहीं भी वैक्सीन बनने पर उसके समान वितरण की गारंटी देता है। बर्कले ने कहा कि ज्यादातर वैक्सीन परीक्षण की प्रक्रिया में हैं, ऐसे में अलग-अलग टीकों का दाम भी अलग हो सकता है। अंतिम कीमत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि लोगों को एक खुराक देने से काम चलेगा या उससे ज्यादा। वैक्सीन किस देश में किस लाइसेंस के तहत बनेगी, यह बात भी उसकी कीमत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जैसे भारत में सेरम इंस्टीट्यूट दुनिया में सबसे सस्ते टीके के उत्पादन के लिए जाना जाता है। बर्कले ने कहा कि हम वैक्सीन निर्माताओं से बड़े पैमाने पर टीके की खुराक का समझौता करने की कोशिश में हैं, ताकि टीका बनते ही उसकी कीमत को लेकर मारामारी न शुरू हो जाए। गरीब देशों के लिए सबसे कम दाम, मध्य आय वाले देशों के लिए थोड़ा ज्यादा और अमीर देशों से सबसे ऊंचे दाम वसूलने का फार्मूला भी लागू हो सकता है।
कोवैक्स का लक्ष्य गठबंधन के देशों के लिए टीके की दो अरब खुराक सुनिश्चित करना है। वर्ष 2021 तक जो भी देश इससे जुड़ेंगे, उन्हें यह टीका मुहैया कराया जाएगा। गावी का कहना है कि करीब 75 देश अब तक कोवैक्स से जुड़ने की इच्छा जता चुके हैं। कोवैक्स का यह प्रस्ताव भी है कि जल्दी टीका उत्पादन के लिए स्पीड प्रीमियम भी लागू किया जा सकता है, इसमें कंपनियों को दस से 15 फीसदी अतिरिक्त प्रीमियम दिया जाएगा, जिसे सबसे पहले वैक्सीन चाहने वाले अमीर देशों से वसूला जाएगा। इन बातों पर सैद्धांतिक निर्णय होने से बाद में किसी भी प्रकार का टकराव नहीं होगा।

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