Bahraich News : हर वक्त कोरोना की चिंता बन सकती है अवसाद का शिकार
लंबे समय तक उदासी, थकान व काम मे मन न लगे तो हो जाएं सावधान
संवाददाता
बहराइच। कोविड-19 के बढ़ते मामले एवं लॉक डाउन के चलते जीवन मे आए ठहराव को लेकर हर वक्त चिंतित रहना कहीं आपको अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार न बना दे। विशेषज्ञों का मानना है कि पहले की अपेक्षा आपदा काल मे डिप्रेशन के मामले एकाएक बढ़ें हैं। ऐसे मे मनोचिकित्सक लोगों की काउन्सलिन्ग से लेकर उनके इलाज तक की व्यवस्था मे जुट गए हैं और उनका कहना है कि धैर्य बनाकर रखें, यह मुश्किल वक्त भी जल्द खत्म होगा। इसको लेकर चिंतित रहने से आप अपने साथ ही घर परिवार को भी मुश्किल मे डाल सकते हैं।
मनोचिकित्सक डॉ विजित जायसवाल का कहना है कि जीवन की रेस मे आगे बढ़ने की होड़ लिए जहां लोग अपने लिए भी मुश्किल से समय निकाल पाते थे वहीं कोरोना ने उस पर एकाएक ब्रेक लगा दिया है। ऐसे मे लोगों को अपने कैरियर और भविष्य की चिंता सताने लगी है। जब हर किसी के लिए हालात एक जैसे हैं तो इसको चुनौती के रूप मे लेते हुए सभी को इससे उबरने की कोशिश करनी चाहिए। इसका मात्र यही रास्ता है कि आपको अपने अंदर सकारात्मक सोंच को विकसित करना होगा और नकारात्मक विचार को त्यागना होगा तभी आप अपने आपको सुरक्षित रखने साथ ही दूसरों को सुरक्षित बना सकेंगे।
लगातार लंबे समय तक उदासी, हमेशा थकान महसूस करना, सोने या खाने की आदतों मे बदलाव आना, नकारात्मक विचारों का आना, जिन कामों को करने में खुशी होती थी उनमे मन न लगना और जीवन को निरर्थक समझने जैसे लक्षण नजर आयें तो पूरी तरह से सावधान हो जाएँ। डॉ जायसवाल का कहना है कि अगर लक्षण दो हफ्ते से अधिक समय से महसूस हों तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अवश्य जाएँ और समस्या पर खुल कर चर्चा करें, समाधान अवश्य निकेलेगा। इसके अलावा जिसको भी अपना सबसे नजदीकी समझते हैं, उससे भी अपनी समस्या का जिक्र अवश्य करिए यकीन मानिए कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा।
डॉ जायसवाल का कहना है कि लॉक डाउन के चलते आपस मे लोगों का मेल जोल कम हो गया है, जिसके कारण अवसाद और चिड़चिड़ापन की समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे मे अगर परिवार के साथ हैं तो आपस मे बात चीत करते रहें एक दूसरे की बात ध्यान से सुने, बेवजह टोकाटाकी से बचें यदि अकेले रह रहें हैं तो तो दिनचर्या मे बदलाव लाएँ, कोई फिल्म या सीरियल देखें और किताब पढ़ें। ऐसे मे जिसे अपना सबसे करीबी समझते हैं उसे वीडियो कॉल या फोन करके भी बातचीत कर सकते हैं, इससे बोरियत कम होगी। इसलिए इस मुश्किल वक्त मे अपने को बिलकुल अकेला मत समझें। साथ ही यह भी जाने कि इस मुश्किल वक्त से हर कोई गुजर रहा है, किसी कि समस्या बड़ी है किसी की छोटी। इसलिए साहस रखकर मुश्किल वक्त से लड़ना है न कि उसके आगे नतमस्तक हो जाना है। आपका हौसला अवसाद को रोकने मे मददगार होगा। अगर फिर भी अवसाद रहता है तो दवाएं थेरेपी सेशन लेकर ठीक हो सकते हैं।