Bahraich News : किसानों को खाद विक्री की रसीद जरूर देंगे दुकानदार

अधिक मूल्य पर बेंचने की शिकायत मिली तो होगी कार्रवाई

संवाददाता

बहराइच। जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार ने जनपद के समस्त थोक एवं फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि खरीफ वर्ष 2020 में फसलों के बुआई रोपाई मे प्रयोग होने वाले उर्वरकों की बिक्री हेतु कृषकों को गुणवत्तायुक्त रासायनिक उर्वरकों का विक्रय शत-प्रतिशत पी.ओ.एस. के माध्यम से करने के साथ-साथ बिक्री के उपरान्त कृषकों को कैशमेमो पर्ची उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। कुमार ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रत्येक उर्वरक व्यवसायी के पास स्टाक पंजिका, विक्रय पंजिका तथा रसीद का होना आवश्यक है। जनपद मे थोक फुटकर उर्वरक विक्रेताओं तथा उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर उर्वरकों की उर्वरकवार बिक्री दर तथा स्टाक का अंकन ब्लैक बोर्ड पर प्रतिदिन अंकन अनिवार्य रूप से किया जाये। उर्वरकों के क्रेता कृषकों के पहचान का विवरण भी कैश रसीद पर अंकित किया जाय। पहचान विवरण के अन्तर्गत राशन कार्ड, जोत-बही, निर्वाचन पहचान पत्र, बैंक पासबुक अथवा इसी प्रकार के अन्य अभिलेख को देखा जाये, जिसके आधार पर क्रेता कृषक की पहचान सुनिश्चित हो सके। उर्वरक विक्रेता द्वारा अपने विक्रय केन्द्रों पर एक विक्रय रजिस्टर रखा जाये जिसमें किसान का नाम, पिता का नाम, ग्राम का नाम, श्रेणी, कृषित भूमि, उर्वरक का नाम, मात्रा, प्राप्त धनराशि तथा कैश रसीद की संख्या एवं तिथि का अंकन भी किया जाये ताकि आवश्यकतानुसार सत्यापन किया जा सके।
इसके अलावा यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी एवं काम्प्लेक्स उर्वरक के बोरों पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य पर ही बिक्री सुनिश्चित की जाये। यदि कोई उर्वरक विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य पर उर्वरक बिक्री करता हुआ पाया जायेगा तो उसके विरुद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 मे निहित प्राविधानो के अनुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी। उर्वरक व्यवसायी कृषकों को पहचान पत्र के आधार पर उनकी कृषित भूमि और फसलवार संस्तुत मात्रा के अनुसार ही उर्वरक उपलब्ध करायें ताकि मंहगे उर्वरकों का असुन्तलित प्रयोग एवं कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों मे दुरूपयोग को नियंत्रित किया जा सके। यदि किसी उर्वरक विक्रेता द्वारा कृषकों को मुख्य उर्वरक यथा यूरिया, डीएपी, एनपीके, मिश्रित उर्वरक, काम्प्लेक्स एवं एमओपी के साथ कम प्रचलित अन्य उत्पाद भी खरीदने हेतु बाध्य किया जायेगा तो सम्बन्धित के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही होगी।
पाण्डेय ने बताया कि कभी-कभी थोक उर्वरक विक्रेताओं द्वारा उर्वरक स्टाक को एक जनपद से दूसरे जनपद के थोक उर्वरक विक्रेता को विक्रय हस्तान्तरित किया जाता है जिसके कारण उर्वरकों की शीर्ष मांग के समय जनपद मे आवंटन के सापेक्ष पर्याप्त मात्रा मे उर्वरकों की आपूर्तिध्उपलब्धता होते हुए भी कमी हो जाती है। यह स्थिति उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं उर्वरक (परिसंचलन नियंत्रण) आदेश 1973 का स्पष्ट उल्लंघन है, वहीं दूसरी तरफ राज्य स्तर से जनपद हेतु जारी किये गये उर्वरक मूवमेन्ट प्लान के सापेक्ष किसी भी प्रकार के उर्वरकों का अन्य जनपद को संचलन अनुचित है एवं उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 तथा उवर्रक (परिसंचलन नियंत्रण) 1973 का उल्लंघन है। उक्त मामलों मे संलिप्त पाये जाने की स्थिति मे सम्बन्धित उर्वरक विक्रेता उर्वरक विनिर्माता एवं प्रदायकर्ता संस्थाओं के विरूद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवष्यक वस्तु अधिनियम 1955 मे निहित प्राविधानों के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।

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