2041 तक दो डिग्री बढ़ जाएगा पृथ्वी का औसत पारा, रोगों का बढ़ेगा दायरा

कानपुर(हि.स.)। अधाधुंध वृक्षों की कटाई और लोगों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक 2041 तक पृथ्वी का औसत तापमान दो डिग्री बढ़ जाएगा। इससे भारत में रोगों का दायरा बढ़ेगा और खासकर सबसे अधिक बच्चे प्रभावित होंगे। इसके साथ ही परागण करने वाले कीड़े विलुप्त होने पर फसलों पर भी असर पड़ेगा।

चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने गुरुवार को बताया कि पृथ्वी का तापीय संतुलन बराबर बिगड़ रहा है। इसके पीछे सबसे अहम कारण प्रदूषण है और दूसरा वृक्षों की लगातार कटाई। पृथ्वी के तापीय संतुलन बिगड़ने को लेकर विश्वभर के वैज्ञानिकों में चिंता का विषय बना हुआ है। शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि औद्योगिक युग चालू होने के बाद पृथ्वी का औसत तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यूएनईपी के अनुसार इसी गति से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करते रहे तो वर्ष 2027 तक तापमान 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा और 2041 तक 2 डिग्री। 2 डिग्री पहुंचने के बाद हम अज्ञात की ओर जाने वाली अप्रिय और भयानक यात्रा चालू कर देंगे। हालांकि वैज्ञानिक शोध कार्यों में जुटे हुए हैं कि पृथ्वी के औसत तापमान को किसी तरह से 1.2 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही स्थिर रहने दिया जाये। इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गये उपायों को विश्व पटल पर लागू भी किया जाएगा।

बढ़ेंगे रोग, प्रभावित होंगी फसलें

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पृथ्वी का औसत तापमान जब दो डिग्री पहुंच जाएगा तब मनुष्य अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में परेशान हो जाएगा। क्योंकि अधिक तापमान और अधिक आर्द्रता एक साथ होने के कारण पसीना सूख नहीं पाएगा। ऐसी ही स्थिति का हल्का नमूना इसी वर्ष मुंबई में अप्रैल माह में उस समय देखा गया जब एक सम्मेलन के दौरान 14 मौतें हो गई थीं। यही नहीं तापमान बढ़ने से फसलों की उपज तो प्रभावित होगी ही, उसमें पोषण (न्यूट्रीशन) भी कम होगा। फसलों में जिंक और प्रोटीन की मात्रा कम होगी, जिससे बच्चों की मृत्यु दर बढ़ेगी। सिर्फ चावल की बात करें तो बी-विटामिन की कमी होने से 13 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। इससे एनीमिया के अलावा बच्चों में तांत्रिक नली दोष उत्पन्न होता है। विटामिन बी-1 की कमी से 6.7 करोड़ लोग प्रभावित होंगे इससे ह्रदय, मस्तिष्क और तंत्रिका आघात होती है। आयरन की कमी होने से एनीमिया, मातृ और बाल मृत्यु दर में बढ़ोतरी होगी और कार्यक्षमता प्रभावित होगी। तापमान बढ़ने से परागण करने वाले कीड़ों के विलुप्त होने से भी फसलें प्रभावित होंगी।

अजय/बृजनंदन

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