2जी स्पेक्ट्रम मामले में अगली सुनवाई 23 और 24 फरवरी को

नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपितों के खिलाफ सीबीआई और ईडी की अपील पर सुनवाई टाल दी है । इस मामले पर अगली सुनवाई 23 और 24 फरवरी को होगी।

आज सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने पक्षकारों से पूछा कि क्या इस मामले की फिजिकल सुनवाई की तिथि तय की जाए। तब ईडी की ओर से पेश वकील डीपी सिंह ने हामी भरते हुए कहा कि दस्तावेजों की संख्या काफी ज्यादा है। सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने कहा कि इस मामले में पक्षकार और वकील ज्यादा हैं, ऐसे में कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल है। वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि उन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं, जो कोरोना के लिए ज्यादा घातक हैं। उसके बाद कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान 14 जनवरी को आरोपितों की ओर से कहा गया था कि दस्तावेजों की संख्या काफी ज्यादा है और कोर्ट की रिकार्ड में काफी दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। आरोपितों की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि इस मामले में दस्तावेजों की संख्या काफी ज्यादा है और बहुत सारे दस्तावेज कोर्ट की रिकार्ड में नहीं हैं। अग्रवाल ने पिछली बेंच के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि कोर्ट को सभी प्रासंगिक तथ्यों और गवाहों के बयानों पर गौर करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड में सारी चीजें मौजूद नहीं हैं। इस मामले पर फैसला ही 1552 पेजों का है। गवाहों के बयान के अलावा सरकारी दस्तावेजों की संख्या हजारों में है। कोर्ट को मूल दस्तावेज देखने चाहिए। कोर्ट की रिकार्ड में 6500 पेज उपलब्ध ही नहीं हैं। इतने सारे दस्तावेजों को देखना वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संभव नहीं है । अग्रवाल ने कहा था कि हम वीडियो कांफ्रेंसिंग में रोजाना पेश होते हैं, लेकिन इस केस में वीडियो कांफ्रेंसिंग से समझना मुश्किल है। तब जस्टिस योगेश खन्ना ने कहा था कि हमने भी इस केस को आज देखा है। अगर वीडियो कांफ्रेंसिंग में दिक्कत होगी तो मैं बताऊंगा। वैसे भी कोर्ट खुलने में अब ज्यादा समय नहीं है।

जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच ने 23 नवम्बर, 2020 को आरोपितों की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने जरूरी स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से सीबीआई की अपील को खारिज करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में हुआ संशोधन उन मामलों पर लागू नहीं होता जो संशोधन के पहले के हैं। ये संशोधन पहले के कानून के काटने के लिए नहीं किए गए हैं। जस्टिस बृजेश सेठी ने कहा था कि सीबीआई को अपील दायर करने के स्वीकृति लेने की जरुरत नहीं है, क्योंकि खुद स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर ने अपील दायर की  है। जस्टिस बृजेश सेठी के 30 नवम्बर, 2020 को रिटायर होने के बाद इस मामले को जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच के समक्ष लिस्ट किया गया।

इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 25 मई, 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था। हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसम्बर, 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।

 Submitted By: Dadhibal Yadav Edited By: Sunit Nigam

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