17 हजार घरों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन करेगा स्वास्थ्य विभाग

गोरखपुर। जिले के 17004 घरों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का आंकलन करने के लिए स्वास्थ्य विभाग समुदाय के बीच जाएगा। इस सामुदायिक अध्ययन में जनपद के 38 गांवों और 7 शहरी क्षेत्रों को शामिल किया गया है जिसके लिए चिकित्साधिकारी समेत चार-चार सदस्यों की कुल 10 टीम गठित की गयी है। 
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने टीम गठित करते हुए पत्र जारी किया है और संबंधित को शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करने को कहा है। यह टीम इन घरों के 18-59 आयु वर्ग के लोगों से उनकी सहमति लेकर अध्ययन करेंगी। 
 मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि यह सामुदायिक अध्ययन कोरोना की रोकथाम में भावी योजनाओं को बनाने में काफी मददगार साबित होगा। इस संबंध में शासन की देखरेख में जिला स्तरीय अधिकारियों का वर्चुअल प्रशिक्षण भी करवाया जा चुका है। जनपद स्तर पर 03 सितम्बर को समस्त टीमों का प्रशिक्षण कराया जाएगा। 
 उन्होंने बताया कि अध्ययन के लिए बेलघाट, खजनी, बड़हलगंज, गोला, उरूवा, बांसगांव, कौड़ीराम, गगहा, सहजनवां, पाली, खोराबार, सरदारनगर, पिपराईच, भटहट और जंगल कौड़िया स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्रों के अन्तर्गत आने वाले गांव एवं वार्ड, जबकि जाफरा बाजार, निजामपुर, मोहद्दीपुर और बेतियाहाता स्वास्थ्य केंद्रों के अन्तर्गत आने वाले शहरी इलाकों को शामिल किया गया है। 
 इन इलाकों में सामुदायिक अध्ययन का मुख्य उद्देश्य जनमानस में इस रोग से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष तौर से संक्रमित होने की स्थिति का आंकलन किया जाना है। इस सामुदायिक अध्ययन के जरिये प्राप्त निष्कर्षों से शासन को अवगत कराया जाएगा जिससे कोविड-19 की रोकथाम और बचाव के लिए शासन स्तर पर योजनाएं विकसित करने में मदद मिलेगी। 
 मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि इस अध्ययन में आशा कार्यकर्ता मोबिलाइजर की भूमिका में होंगी, जबकि एएनएम रिपोर्टिंग करेंगी। लैब टेक्निशियन सैंपल कलेक्शन करेंगे और टीम के चिकित्साधिकारी का दायित्व पूरे अध्ययन की मॉनीटरिंग करना होगा। अध्ययन के दौरान प्रतिभागी की निजता और गोपनीयता पूरी तरह से बरकरार रखी जाएगी। 
 उन्होंने चयनित क्षेत्रों के लोगों से अपील की है कि वह इस अध्ययन में खुल कर सहयोग करें और समाज की भलाई में योगदान दें। प्रतिभागी की पात्रता शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार इस अध्ययन में शामिल होने के लिए प्रतिभागी की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होगी और 59 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। अध्ययन में शामिल होने के लिए प्रतिभागी को लिखित में सहमति देनी होगी। उन्हें हिंदी के अलावा अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान होना चाहिए। 
 ऐसे होगा अध्ययन मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि अध्ययन के लिए चिन्हित किये गये समूहों में से व्यक्तियों को मोबिलाइजर (आशा कार्यकर्ता) के माध्यम से एक स्थान पर एकत्रित किया जाएगा। एक सलाहकार द्वारा विस्तृत काउंसिलिंग होगी और प्रतिभागियों की सहमति लेने के बाद ही प्रशिक्षित लैब टेक्निशियन द्वारा उनके रक्त का नमूना लिया जाएगा। 

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