होली को बदरंग करने वाली ब्रितानिया हुकूमत को पांच दिन में कानपुर ने झुकाया

– अंग्रेजों को सत्ता से बेदखल होने का सताने लगा था डर, पांच माह बाद शुरू हुआ भारत छोड़ो आंदोलन

कानपुर (हि.स.)। होली भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है जिसमें हंसी-खुशी के साथ लोग रंगों में सराबोर हो जाते हैं। लेकिन कानपुर में होली का पर्व कुछ अलग ढंग से मनाया जाता है। ऐसा इसलिए है कि सन 1942 में ब्रितानिया हुकूमत ने ईर्ष्यावश कानपुर के नौजवानों को रंगों की होली खेलने पर रोक लगा दी। फिर क्या था जेल भेजे गये नौजवानों के साथ पूरा शहर खड़ा हो गया और भारत छोड़ो आंदोलन से पांच माह पूर्व आजादी का बिगुल बजा दिया गया। पांच दिन की बंदी और सत्ता से बेदखल होने का खौफ देख अंग्रेजों को झुकना पड़ा। नौजवानों के जेल से बाहर आते ही अनुराधा नक्षत्र पर शहर एक बार फिर रंगों से सराबोर हो गया। होली के रंग में पड़ी भारत छोड़ो आंदोलन की नींव को आज भी शहरवासी याद करते हुए उसी तरह अनुराधा नक्षत्र तक रंग खेलते हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में आठ अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। अगले ही दिन यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया और अंग्रेज भारत छोड़ने को मजबूर हुए। लेकिन इसकी नींव कानपुर में उसी वर्ष उस समय पड़ गयी जब रंगों का त्योहार होली था। समाजसेवी व हटिया होली कमेटी के संरक्षक मूलचंद्र सेठ बताते हैं कि देश की आजादी से पहले हटिया शहर का हृदय हुआ करता था, यहां पर लोहा, कपड़ा और गल्ले का व्यापार होता था। व्यापारियों के यहां आजादी के दीवाने और क्रांतिकारी डेरा जमाते और आंदोलन की रणनीति बनाते थे। गुलाब चंद सेठ हटिया के बड़े व्यापारी हुआ करते थे, जो होली पर बड़ा आयोजन करते थे। 1942 में होली के दिन अंग्रेज अधिकारी घोड़े पर सवार होकर आए और रंग खेल रहे नौजवानों को होली बंद करने को कहा तो गुलाब चंद सेठ ने साफ मना कर दिया। इस पर रंग खेल रहे नौजवानों ने हटिया पार्क पर तिरंगा झंडा फहराकर आजादी का बिगुल फूक दिया। इससे गुस्साए अंग्रेज अधिकारियों ने नौजवानों को पीटकर तिरंगा झण्डा उतरवाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी का विरोध करने पर जागेश्वर त्रिवेदी, पं. मुंशीराम शर्मा सोम, रघुबर दयाल, बालकृष्ण शर्मा नवीन, श्यामलाल गुप्त पार्षद, बुद्धूलाल मेहरोत्रा और हामिद खां सहित 40 लोगों को अंग्रेजों ने सत्ता के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इन सभी को सरसैया घाट स्थित जिला कारागार में बंद कर दिया गया।

शहरवासियों के विरोध से घबराए अंग्रेज

बताते हैं कि जब शहरवासियों को जानकारी हुई कि रंग खेलने पर अंग्रेजों ने कुछ लोगों को जेल में डाल दिया तो पूरा शहर भड़क उठा और पांच दिन शहर बंद कर दिया गया। इसके साथ ही जगह-जगह हो रहा आंदोलन आजादी का शक्ल लेने लगा। इसमें स्वतंत्रता सेनानी भी जुड़ गए और महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे लोगों ने भी सहयोग किया। पांच दिन के विरोध के बाद अंग्रेज अधिकारी घबरा गए और गिरफ्तार लोगों को छोड़ना पड़ा।

अनुराधा नक्षत्र पर हुई थी रिहाई, शहर में बरसा रंग

बताया जा रहा है कि अंग्रेजों ने आंदोलन का बढ़ता कारवां देख जेल भेजे गये युवकों को रिहा कर दिया और यह रिहाई अनुराधा नक्षत्र के दिन हुई। ऐसे में कानपुर में होली के बाद अनुराधा नक्षत्र का दिन उत्सव का दिवस हो गया। जेल के बाहर भारी संख्या में लोगों ने एकत्र होकर खुशी मनाई और हटिया से रंग भरा ठेला निकाला गया और जमकर रंग खेला। शाम को गंगा किनारे सरसैया घाट पर मेला लगा। तब से कानपुर शहर इस परंपरा का निर्वाह कर रहा है।

विरोध और पहचान छुपाने के लिए पांच दिन तक युवाओं ने नहीं छुटाया रंग

इतिहासकार मनोज कपूर ने बताया कि जब अंग्रेजों ने रंग खेल रहे नौजवानों को मना किया तो नौजवानों ने पार्क पर तिरंगा झंडा फहरा दिया। इसके बाद सभी गिरफ्तार भी हुए। गिरफ्तारी के विरोध में आजादी के दीवानों ने पांच दिनों तक अपने मुंह से रंग नहीं छुटाया और चेहरे को इस तरह रंग लिए कि विरोध के दौरान अंग्रेज पहचान न सके। इस दौरान पूरा शहर तो बंद ही रहा पर रंग बराबर लोग खेलते रहे। गिरफ्तार हुए लोग जब जेल से बाहर आये तो उन्ही के साथ आजादी के दीवानों ने सरसैय्या घाट में गंगा के पानी से रंग छुटाया।

30 मार्च को अबकी बार होगा होली गंगा मेला

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान होली में रंग खेलने वाले युवकों को जेल भेजने की घटना को कानपुर में आज भी याद किया जाता है। जनता के विरोध में अनुराधा नक्षत्र के दिन जब युवकों को छोड़ा गया तो कानपुर में फिर से होली मनायी गयी और इसे गंगा मेला नाम दिया गया। इसी क्रम में इस बार भी अनुराधा नक्षत्र के दिन 30 मार्च को गंगा मेला मनाया जाएगा।

हटिया होली कमेटी के संयोजक ज्ञानेन्द्र विश्नोई ने बताया कि इस साल होली गंगा मेला प्राचीन परंपरा के अनुसार 30 मार्च को मनाया जाएगा। बताया कि होलिका दहन 24 मार्च को होगा और पूरे देश में 25 मार्च को होली खेली जाएगी, लेकिन कानपुर की होली का समापन सन 1942 आजादी के दीवानों की याद में मनाए जाने वाले गंगा मेला के दिन 30 मार्च को होगा। बताया कि इस उत्सव में आजादी की खुशबू आती है।

अजय सिंह/मोहित

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