हे प्रभु! जब मैं आपके धाम आऊं तो मुझे पार लगा देना…
– श्रीराम-केवट संवाद प्रसंग का मनोहारी मंचन, दर्शक भाव-विभोर
– श्रीविंध्य प्राचीन रामलीला कमेटी के रामलीला के पांचवे दिन उमड़ी भीड़
मीरजापुर(हि.स.)। श्रीविंध्य प्राचीन रामलीला समिति की ओर से मोती झील मार्ग पर आठ दिवसीय रामलीला के पांचवें दिन श्रीराम और केवट संवाद प्रसंग का मनोहारी मंचन देख दर्शक भाव-विभोर हो गए। वहीं सीता हरण व जटायु मारीच वध का भी मंचन किया गया। श्रीराम के जयघोष से पंडाल गुंजायमान हो रहा था।
रामलीला के क्रम में भगवान श्रीराम सरयू नदी के किनारे खड़े केवट से नदी पार करने के लिए नाव में बिठाने का आग्रह करते हैं। राम ने कहा कि हमें नदी पार करा दो। केवट प्रभु राम के पास आया और बोला कि आप कौन हैं, कहां से आए हैं और कहां जा रहे हैं। अपना परिचय दीजिए, तब राम ने केवट को अपना परिचय दिया। परिचय जानते ही केवट वहां से भाग कर कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया। कहा कि आप वहीं राम हैं, जिनके छूते ही पत्थर की शिला आसमान में उड़ गई। मेरी नाव तो लकड़ी की है, वह छूमंतर हो जाएगी तो मैं अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करूंगा। मैं आपको नदी पार नहीं करा सकता। श्रीराम ने कहा कि केवट ऐसा कोई उपाय है, जिससे तू हमें नदी पार करा दो तो केवट ने कहा कि हां पहले आप चरण धुलवाएं।
चरण धोने के बाद केवट ने राम को नदी पार कराई। नदी बीच मंझधार हिचकोले लेने लगी तो केवट ने गीत गाया प्रभु जी आए हैं, मेरे नाव पर सभी लोग देखना…। नदी पार कराने के बाद प्रभु श्रीराम ने सीता की अंगूठी केवट को नाव उतराई दी। केवट कहने लगा कि हे प्रभु आप यह क्या कर रहे हैं और नाव उतराई लेने से इनकार कर दिया। केवट ने कहा कि मैं आपको बताता हूं, मेरा घर तो यहां पर है और आपका बैकुंठधाम है। जब मैं आपके धाम आऊं तो मुझे पार लगा देना। इतना सुन केवट को प्रभु श्रीराम ने अपने गले से लगा लिया। इसके पूर्व रामलीला का शुभारंभ विंध्याचल थाना प्रभारी अरविंद मिश्रा ने प्रभु श्रीराम-लक्ष्मण और माता जानकी की पूजन-अर्चन व भव्य आरती कर किया। श्रीराम की भूमिका कमल मिश्रा, लक्ष्मण का किरदार देवी दीक्षित, रावण की भूमिका प्रशांत द्विवेदी, मंत्री की भूमिका मुन्ना बाबू मिश्रा, सीता की भूमिका पूजा वर्मा, केवट की भूमिका रजत द्विवेदी, व्यास की भूमिका गोपी मिश्रा ने निभाई। लीला मंचन के साथ ढोलक पर रंगनाथ, कीर्तन पर राम प्रसाद, शहनाई पर तौलन प्रसाद ने कुशल संगत किया। मंच का संचालन संयोजक आदर्श उपाध्याय ने किया।
गिरजा शंकर/सियाराम