हरिद्वार से भी ज्यादा साफ हुआ कानपुर में गंगा का पानी
प्रादेशिक डेस्क
कानपुर। महानगर में गंगा हरिद्वार और प्रयागराज से भी ज्यादा निर्मल हैं। लॉकडाउन के बाद इसमें न सिर्फ डीओ (डिजाल्व्ड ऑक्सीजन) की मात्रा बढ़ी है बल्कि हर तत्व निर्धारित मानक के अनुरूप पाए गए हैं। सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की रियल टाइम क्वालिटी मॉनीटरिंग रिपोर्ट के अनुसार, गंगा की स्वच्छता में कुछ को छोड़ अधिकांश शहरों में काफी सुधार हुआ है। चौंकाने वाली बात है कि हरिद्वार, पटना व प्रयागराज में गंगा काफी दूषित हैं। हालांकि वाराणसी में भी गंगा जल स्वच्छ हुआ है। सीपीसीबी की ओर से नरौरा से लेकर पश्चिम बंगाल के विभिन्न शहरों से होकर गुजरी गंगा की स्वच्छता की विशेष निगरानी की जा रही है। अलग-अलग स्थानों पर लगे सेंसर रियल टाइम रिपोर्टिंग के जरिए गंगा के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है। बोर्ड दस से अधिक पैरामीटर पर आकलन करता है। इसमें मुख्य रूप से डीओ, बीओडी, पीएच, अमोनिया, क्लोराइड, टीएसएस, नाइट्रेट, फ्लोराइड आदि हैं। कानपुर में बैराज व बिठूर में लगे सेंसर रियल टाइम रिपोर्टिंग डाटा उपलब्ध करा रहे हैं।
कानपुर में डीओ का स्तर 8.51 तक पहुंच गया है, जो काफी बेहतर माना जाता है। मानक के अनुरूप पांच से अधिक होना अनिवार्य है। जबकि प्रयागराज में 1.04 और हरिद्वार में 0.10 ही है। इसी तरह अमोनिया, टीएसएस, बीओडी की मात्रा भी मानक से काफी अधिक है। हरिद्वार में मानक से नौगुना अधिक है अमोनिया अमोनिया का स्तर हरिद्वार में मानक से नौगुना अधिक है। अमोनिया पांच एमजी/ली से कम होना चाहिए। जबकि हरिद्वार में इसका स्तर 44 से अधिक है। वहीं प्रयागराज में भी यह 9 से और पटना में 17 अधिक है। डीओ पांच एमजी/ली से अधिक, बीओडी दस एमजी/ली से कम, टीएसएस दस एमजी/ली से कम का मानक है। पीएच लगभग सभी शहरों में मानक के करीब है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार काशी (वाराणसी) में भी गंगा शुद्ध हो रही हैं। यहां डीओ का स्तर 7.62 एमजी/ली तक पहुंच गया है, जो आमतौर पर मानक 5 एमजी/ली के करीब रहता था। वहीं अमोनिया, पीएच, नाइट्रेट, बीओडी भी मानक के अनुरूप है। काशी में बीओडी का स्तर 1.40, अमोनिया का 0.17, टीएसएस 9 के करीब है। पीएच भी 8.05 है। जो थोड़ा अधिक जरूर है लेकिन मानक के अंदर है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी एस फ्रेंकलिन का कहना है कि गंगा की स्वच्छता के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। टेनरियों का पानी गंगा में मिलना बंद हुआ है। नाले भी कम गिर रहे हैं। इससे गंगा का जल स्वच्छ हो रहा है।