हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर कांग्रेस के रिकार्ड को तोड़ सकती है भाजपा
– 17 आम चुनावों में भाजपा के खाते में पांच मर्त्रबा आई सीट
– संसदीय सीट पर लोधी जाति के लोगों पर जनता ने किया था भरोसा
हमीरपुर (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर लम्बे समय तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के रिकार्ड को अबकी बार भाजपा तोड़ सकती है। पांच बार यहां की सीट पर कब्जा करने वाली भाजपा ने रिकार्ड बनाने के लिए चुनाव मैदान में बड़ी ताकत लगाई है। चुनावी गणित में फिलहाल भाजपा को साइकिल कड़ी टक्कर दे रही है।
हमीरपुर, महोबा, तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र में 18,34 लाख से अधिक मतदाता हैं। इनमें पिछड़ी और क्षत्रिय, ब्राह्मण मतदाता की एकजुटता से चुनाव के समीकरण उम्मीदवारों के गड़बड़ा जाते हैं। जातीय मतों पर नजर डाले तो 23 फीसदी दलित, मुस्लिम, नौ फीसदी, ब्राह्मण 7 फीसदी, यादव, लोधी, कुशवाहा सात-सात फीसदी व 16 फीसदी क्षत्रिय के अलावा अन्य बिरादरी के मत हैं। संसदीय क्षेत्र में शुरू से अब तक हुये आम चुनाव के नतीजे पर नजर डाले तो यहां की सीट पर कांग्रेस ने लगातार हैट्रिक लगायी है। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में एलएल द्विवेदी ने जीत का परचम फहराया था। उन्हें उस जमाने में 32.7 प्रतिशत वोट मिले थे। एमएल द्विवेदी वर्ष 1957 के लोकसभा चुनाव दोबारा सांसद बने थे। उन्हें 28.6 फीसदी मत मिले थे। वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में एमएल द्विवेदी ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार कांग्रेस का मान रखते हुये परचम फहराया था। उन्हें 47.9 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ पार्टी ने यहां की सीट पर कब्जा कर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को बाहर कर दिया था। भाजसं प्रत्याशी स्वामी ब्रह्मानंद को 54.1 फीसदी मत मिले।
वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में स्वामी ब्रह्मानंद ने भारतीय जनसंघ पार्टी छोड़ कांग्रेस के टिकट से अपनी किस्मत आजमायी औैर दोबारा जीत कर वह लोकसभा पहुंचे। उन्हें 52.0 प्रतिशत मत मिले। वर्ष 1977 के आम चुनाव में बीएलडी के प्रत्याशी तेज प्रताप सिंह ने पहली बार हमीरपुर संसदीय सीट पर जीत का परचम फहराया। उन्होंने सर्वाधिक 54.1 प्रतिशत मत हासिल किये। वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर बाजी मारी। कांग्रेस प्रत्याशी डूंगर सिंह ने 44.2 प्रतिशत मत पाये। वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा सीट पर कब्जा जमाया। कांग्रेस उम्मीदवार स्वामी प्रसाद सिंह ने जातीय समीकरणों के कारण 52.6 फीसदी मत हासिल किये। इस बार भाजपा कांग्रेस के रेकार्ड को तोड़ने के लिए चुनावी रणनीति बनाई है लेकिन साइकिल के रेस पकड़ने से उनकी चुनावी गणित बिगड़ सकती है।
सत्रह लोकसभा के चुनावों में भाजपा के खाते में पांच मर्त्रबा आई सीट
वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक हमीरपुर महोबा संसदीय सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ को ध्वस्त कर यहां की सीट पर कब्जा कर लिया था। वर्ष 1991 से लेकर 1998 तक भाजपा लगातार सीट पर काबिज रही है। कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी हैट्रिक लगायी है। संसदीय सीट के शुरू से लेकर अब तक हुये चुनावों की नतीजों पर नजर डाले तो कांग्रेस के खाते में छह बार यहां की सीट गयी है जबकि भाजपा ने पांच बार जीत दर्ज करायी है।
संसदीय सीट पर लोधी जाति के लोगों ने भाजपा पर किया था भरोसा
इस संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक आठ बार पिछड़ी जाति के प्रत्याशी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं, वहीं आठ बार सवर्ण जाति के प्रत्याशी भी संसदीय सीट पर विजय श्री हासिल कर चुके हैं। वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक एमएल द्विवेदी कांग्रेस से लोकसभा सदस्य रहे हैं, जबकि 1991 में विश्वनाथ शर्मा भाजपा के टिकट से सांसद बने थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में अशोक सिंह चंदेल बसपा से चुने गये थे। वहीं 2004 में सपा से राजनारायण बुधौलिया, 2009 में बसपा से विजय बहादुर सिंह तथा 2014 में भाजपा से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल चुने गये। 2019 में भाजपा की टिकट पर पुष्पेंद्र दोबारा चुने गए। इस बार भी वह चुनाव मैदान में हैं और जनता का आशीर्वाद मिला तो वह हैट्रिक लगाकर रिकार्ड कायम कर सकते हैं।
पंकज/मोहित