स्वास्थय : टीकाकरण और बचाव नियमों का पालन कर कोरोना की तीसरी लहर को कर सकते हैं बेअसर : डा इंद्रनील खां
ओम प्रकाश
कोलकाता (हि.स.)। पूरे देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर चल रही है और लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अभी दूसरी लहर अपनी पीक पर नहीं पहुंची है, उसके पहले ही इतनी सारी मौतों ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया है। इसके बाद तीसरी लहर आने की भी चर्चा तेज है और वह लहर मूल रूप से दूसरी की तरह ही खतरनाक होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इस महामारी की पहली और दूसरी लहर से डरे सहमे लोग तीसरी लहर के बारे में पहले से ही चिंतित हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने उसके बचाव के लिए पहले से ही सलाह देनी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि अगर कोरोना से बचाव के लिए मौजूदा प्रोटोकॉल का पालन किया जाए तो निश्चित तौर पर तीसरी लहर को बेअसर किया जा सकता है। इस बारे में “हिन्दुस्थान समाचार” से विशेष बातचीत में डॉ इंद्रनील खां ने कई महत्वपूर्ण सलाह दी है।
उन्होंने बताया कि कई जगह ऐसी चर्चा चल रही है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक है लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं। खां ने कहा कि देशभर में चल रहे टीकाकरण अभियानों को अगर अपेक्षित गति दी जाए और बड़े पैमाने पर हर उम्र वर्ग के लोगों का टीकाकरण हो तो तीसरी लहर पूरी तरह से बेअसर साबित होगी। उन्होंने कहा कि किसी भी महामारी की तीसरी-चौथी लहर होती है और इसकी भी होगी। अभी दूसरी लहर पीक पर नहीं पहुंची है। आने वाले दिनों में संभवतः अगस्त के दूसरे सप्ताह के बाद तीसरी लहर की शुरुआत हो सकती है और उससे बचाव का सबसे बेहतर जरिया यही है कि लोग संक्रमितों की संख्या कम होने अथवा मौत का आंकड़ा कम होने पर सावधानी बरतना बंद नहीं करें। जब तक पूरी दुनिया से इस महामारी का अंत नहीं हो जाता तब तक हमें शारीरिक दूरी, मास्क सैनिटाइजर और साफ-सुथरा तरीके से रहने की अपनी आदत नहीं छोड़नी होगी।
उन्होंने कहा कि महामारी से बचाव का सबसे बेहतर उपाय टीकाकरण है और इसकी गति को तेज किए जाने की जरूरत है। तीसरी लहर की शुरुआत से पहले अगर 50 फ़ीसदी आबादी को टीका लग जाता है तो तीसरी लहर को निष्क्रिय करने में काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा जो लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं वे भी स्वस्थ होकर हर्ड इम्यूनिटी के तौर पर काम करेंगे जिससे कम से कम लोग महामारी की वजह से मरेंगे।
रोज कम से कम एक करोड़ लोगों के टीकाकरण की जरूरतभारत की आबादी करीब 130 करोड़ है और अभी तक महज साढे़ 17 करोड़ लोगों को टीका लग सका है। अगस्त महीने के दूसरे सप्ताह जबसे कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है उसके पहले बड़ी आबादी को टीका लगाने के लिए प्रतिदिन कम से कम एक करोड़ लोगों को टीका लगाने की शुरुआत करनी होगी। डॉक्टर खां ने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्र की संस्थाएं कोरोना रोधी दवाएं विकसित करने के साथ ही टीकाकरण के निर्माण में भी एकजुट तौर पर लगें तो इस लक्ष्य को पूरा कर पाना असंभव नहीं है। यह जरूरी है कि टीकाकरण के निर्माण के लिए सरकार युद्ध स्तर पर कंपनियों को लगाएं। भारत बायोटेक और सिरम इंस्टीट्यूट ने जिन टीकों का निर्माण किया है वे स्वदेशी हैं और इनके फार्मूले को दूसरी स्वदेशी कंपनियों के साथ साझा कर तत्काल बड़े पैमाने पर टीके का उत्पादन किया जाना चाहिए।
डॉ खां ने कहा कि देशभर में महामारी की तीसरी लहर को बेअसर करने का एकमात्र उपाय है कि इसके शुरू होने से पहले पूरे देश में वैक्सीन न केवल उपलब्ध कराई जाए बल्कि हर व्यक्ति को दोनों डोज लगाने का लक्ष्य भी पूरा कर लिया जाए।
इंद्रनील ने कहा कि कोरोना के खिलाफ कठिन लड़ाई हर हाल में जीतने की जरूरत है क्योंकि हमारे पास हराने का विकल्प है। इसके लिए सरकार से लेकर आम नागरिक तक को एक-दूसरे की मदद करनी होगी। नागरिकों को मास्क, सैनिटाइजर और शारीरिक दूरी का बखूबी पालन करना होगा और सरकारों को महामारी रोकथाम के लिए आवश्यक टीके और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
डॉ खां ने यह भी बताया कि कोरोना से उपजे कठिन हालात के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ की ओर से तैयार की गई 2-डीजी नामक दवा उम्मीद की एक किरण है। डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के सहयोग से विकसित इस दवा को कारगर मानते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने इसके उपयोग की मंजूरी भी दे दी है। अब आवश्यकता इसकी है कि इस दवा का जल्द से जल्द बड़े पैमाने पर उत्पादन हो। चूंकि यह एक जेनरिक दवा है, इसलिए इसके व्यापक उत्पादन में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। उत्पादन के साथ यह भी देखना होगा कि वह देश भर में यथाशीघ्र उपलब्ध हो। चूंकि आसानी से उपयोग में लाई जा सकने वाली इस दवा का परीक्षण इसी मार्च तक हुआ है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि यह कोरोना वायरस के बदले हुए रूपों के शिकार मरीजों पर भी असर करेगी।
बच्चों के लिए क्यों खतरनाक बताई जा रही है तीसरी लहर ?तीसरी लहर के आने से पहले विशेषज्ञों ने इसे बच्चों के लिए सबसे खतरनाक बताया है। डॉक्टर खां ने बताया कि इसकी वजह महामारी का बदला हुआ स्वरूप नहीं है बल्कि हमारी मौजूदा व्यवस्थाएं है। केंद्र सरकार ने फिलहाल तीसरे चरण में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाने की अनुमति दी है। जब तक महामारी की तीसरी लहर शुरू होगी तब तक बड़ी आबादी को टीका लगा दिया जाएगा जिसकी वजह से उन लोगों के चपेट में आने की संभावना कम होगी। बच्चों का टीकाकरण फिलहाल नहीं हो रहा है इसलिए तीसरी लहर उन्हीं के लिए घातक मानी जा रही है।
हालांकि उन्होंने बताया कि लहर कोई भी हो, घबराने की जरूरत नहीं है। लोगों को सकारात्मक रहना होगा। कोरोना का इलाज है और लोग स्वस्थ हो रहे हैं। डॉक्टर खां ने कहा कि 100 साल से अधिक उम्र के मरीजों से लेकर नवजात बच्चों तक ने इस महामारी को मात दी है। समय निश्चित तौर पर मुश्किल है लेकिन एकजुट तरीके से इसका मुकाबला ही हमारी जीत का अस्त्र होगा।
क्या कहना है उन लोगों का जो कोरोना को दे चुके हैं मातडॉक्टर खां ने महामारी को हराने के लिए जिस सकारात्मकता की बात की है उसकी पुष्टि इस बीमारी को मात देने वाले लोग भी कर रहे हैं। कोलकाता के एक बड़े हिंदी दैनिक अखबार के संपादक रह चुके शिक्षक रामकेश सिंह ने भी अपने अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बताया है कि जब वह बीमारी की चपेट में आए थे तब कुछ खास लक्षण भी नहीं थे लेकिन डॉक्टरी सलाह और सकारात्मक संबल के साथ वह इसकी चंगुल से निकलने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि अमूमन मुझे न तो बुखार हुआ और न सर्दी बल्कि सिर्फ गले में खराश के साथ शुरू हुआ पहले कफ आना और फिर अगले दिन बलगम के साथ लगातार खून के थक्के। तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क किया और फिर उन्होंने दवाएँ दी तथा मुझे एच आर सी टी थोरेक्स तथा कोविड टेस्ट कराने को कहा। सी टी स्कैन पता चला कि फेंफड़ों मेम संक्रमण है और कोविड पॉजिटिव होने से वह निमोनिया प्रभावित हो गया था।
डॉक्टरी सलाह का हवाला देते हुए उन्होंने आगे कहा कि मैं cefuroxime axetil 500 mg का एंटीबायोटिक लेता रहा और साथ में इक्लॉट और अस्कोरिल-डी प्लस कफ सिरप तथा ivermection-12 भी डॉक्टर की सलाह से लिया। इस दौरान मेरा ऑक्सीजन लेवल 92 या 93 के आसपास रहा। छः दिन बाद मेरी स्थिति में सुधार होने लगा और इस दौरान मैं गर्म पानी का भाप लेता रहा। इस दौरान मैंने खुद पर किसी नकारात्मक भाव को हावी नहीं होने दिया। आप सर्दी, खांसी, बुखार आदि होते ही अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। साहस बनाये रखें। भाप लेते रहें। ऑक्सीजन लेवल मापते रहें। डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेते रहें। भोजन के तौर पर इस दौरान खिचड़ी खाना बेहद मुफीद है। इसके अलावा हार्लिक्स आदि भी लें। भयभीत एकदम मत हों। एप्पल को उबाल कर खाएं। और खुद को व्यस्त और मस्त रखें।