स्वाद में कड़वा, मगर तमाम रोगों से मुक्ति दिलाने में कारगर है करेला

आयुर्वेदाचार्य ने कहा, एंटीआक्सीडेंट से भरपुर करेले के सेवन से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

लखनऊ (हि.स.)। स्वाद में कड़वा लेकिन सेहत के लिए फायदेमंद करेला के सेवन से खून साफ होने के साथ ही तमाम रोगों से निजात मिलती है। एंटीआक्सीडेंट और जरूरी विटामिन पाये जाने के कारण इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी भरपुर पायी जाती है। इसके अलावा कैरोटीन, बीटाकैरोटीन, लूटीन, आइरन, जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मैगनीज जैसे फ्लावोन्वाइड भी पाए जाते हैं।

इस संबंध में बीएचयू के पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर जेपी सिंह ने बताया कि स्वस्थ रहने के लिये खट्टे, मीठे, कसैले, तीखे रस की जरूरत होती है। इसमें से किसी भी रस की कमी से शरीर में विकार उत्पन्न हो जाते हैं। करेला वात विकार, पाण्डु, प्रमेह एवं कृमिनाशक होता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से बताया कि बड़े करेले के सेवन से प्रमेह, पीलिया और आफरा में लाभ मिलता है। छोटा करेला बड़े करेले की तुलना में ज्यादा गुणकारी होता है।

कहा कि करेले के सेवन से ज्वर, पित्त, कफ रूधिर विकार, पाण्डुरोग, प्रमेह और कृमि रोग ठीक होता है। करेली के गुण भी करेले के समान है। करेले का साग उत्तम पथ्य है। यह आमवात, वातरक्त, यकृत, प्लाहा, वृध्दि एवं जीर्ण त्वचा रोग में लाभदायक होता है। इसमें विटामिन ‘ए’ अधिक मात्रा में होता है। इसमें लोहा, फास्फोरस तथा कम मात्रा में विटामिन सी भी पाया जाता है।

आयुर्वेदाचार्य जेपी सिंह ने कहा कि यह भूख को बढ़ाने के साथ ही पाचन शक्ति को सुधारता है।

मधुमेह में रामबाण औषधि का काम करता है। इसको सुखाकर पीसकर महीन पाउडर बनाकर रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच पाउडर का पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। 10 ग्राम करेले के रस में 6 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीना लाभकारी है।

कहा कि इसमें मौजूद बिटर्स और एल्केलाइड तत्व रक्त शोधक का काम करते हैं। इसमें मिक्सी में पीस कर बना लेप रात में सोते समय लगाने से फोड़े-फुंसी और त्वचा रोग नहीं होते। दाद, खाज, खुजली, सियोरोसिस जैसे त्वचा रोगों में करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।

बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता

कहा कि करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गठिया या जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी खाने और दर्द वाली जगह पर करेले की पत्तों के रस से मालिश करने से आराम मिलता है।

उन्होंने कहा कि करेले के तीन बीज और तीन काली मिर्च को घिसकर पानी मिलाकर पिलाने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते हैं। अम्लपित्त के रोगी जिन्हें भोजन से पहले उल्टियां होने की शिकायत रहती है, करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से फायदा होता है।

पथरी रोगियों के लिए लाभकारी

आयुर्वेदाचार्य ने कहा कि पथरी रोगियों को दो करेले का रस पीने और करेले की सब्जी खाने से आराम मिलता है। इससे पथरी गलकर बाहर निकल जाती है। 20 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर पीने से पथरी गल कर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। इसके पत्तों के 50 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी हींग मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है।

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