सुप्रीम कोर्ट ने कहा-ये राष्ट्रीय आपदा, मूकदर्शक बने नहीं रह सकते
नई दिल्ली । देश में कोरोना काल में ऑक्सीजन के गहराते संकट, बेड की कमी, वैक्सीन की किल्लत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये राष्ट्रीय आपदा है। इसमें मूकदर्शक बने नहीं रह सकते हैं। इसके लिए हमें रणनीति बनानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि केंद्र ने इस पर क्या कदम उठाए हैं और क्या योजना बनाई है। इसके बारे में हमें विस्तार से जानकारी दीजिए। पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत ने कोरोना महामारी के हालात को राष्ट्रीय आपातकाल करार दिया था। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय योजना पेश करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से गुरुवार तक स्वास्थ्य ढांचों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। कोर्ट ने कोरोना प्रबंधन से जुड़े मामलों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि कोरोना पर केंद्र और राज्यों के बीच चल रही तैयारियों को लेकर छह हाईकोर्ट के फैसले से भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्य प्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले से ही राज्य और केंद्र की तैयारियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सुनवाई जारी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन लगाने का अधिकार राज्यों के पास होने को कहा था।
चार बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ कोरोना से जुड़े प्रबंधन मामलों की सुनवाई कर रही है। सीजेआई) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने चार बिंदुओं पर सरकार से जवाब मांगा था। जिसमें-ऑक्सीजन की आपूर्ति-आवश्यक दवाओं की आपूर्ति -टीकाकरण की विधि और तरीका और लॉकडाउन घोषित करने की राज्य की शक्ति शामिल है।
सरकार से सवाल-मौजूदा संकट पर नेशनल प्लान क्या है?
सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा, हमें लोगों की जिंदगियां बचाने की जरूरत है। जब भी हमें जरूरत महसूस होगी, हम दखल देंगे। राष्ट्रीय आपदा के समय हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते हैं। हम हाईकोट्र्स की मदद की जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं। इस मामले में उन अदालतों को भी अहम रोल निभाना है।
सुप्रीम कोर्ट के केंद्र को 5 निर्देश
- कोर्ट ने केंद्र से पूछा-ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर केंद्र को मौजूदा स्थिति स्पष्ट करनी होगी। कितनी ऑक्सीजन है? राज्यों की जरूरत कितनी है? केंद्र से राज्यों को ऑक्सीजन के अलॉटमेंट का आधार क्या है? राज्यों को कितनी जरूरत है, ये तेजी से जानने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई है?
- गंभीर होती स्वास्थ्य जरूरतों को बढ़ाया जाए। कोविड बेड्स भी बढ़ाए जाएं।
- वो कदम बताइए जो रेमडेसिविर और फेवीप्रिविर जैसी जरूरी दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए उठाए गए।
- अभी कोवीशील्ड और कोवैक्सिन जैसी दो वैक्सीन उपलब्ध हैं। सभी को वैक्सीन लगाने के लिए कितनी वैक्सीन की जरूरत होगी? इन वैक्सीन के अलग-अलग दाम तय करने के पीछे क्या तर्क और आधार हैं?
- 28 अप्रैल तक जवाब दें कि 18+ आबादी के वैक्सीनेशन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े क्या मामले हैं।
केंद्र ने कहा- प्रधानमंत्री खुद समस्याओं पर ध्यान दे रहे हैं
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार हाई लेवल पर इस मसले पर काम कर रही है। परेशानियां दूर करने के लिए प्रधानमंत्री खुद इसे देख रहे हैं। हम हालात को बहुत सावधानी से संभाल रहे हैं।