सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर लगाई रोक
संजय कुमार
नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार हनन मामले में पत्रकार अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से भेजी गई चिट्ठी की भाषा पर एतराज जताया है। कोर्ट ने विधानसभा सचिव को अवमानना का नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले पर अगले आदेश तक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एक अधिकारी की ऐसी हिम्मत कैसे हुई कि सुप्रीम कोर्ट आने पर किसी को धमकाए। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अर्णब गोस्वामी की पत्नी ने आज ही एक हलफनामा दाखिल किया है, क्योंकि वो एक गंभीर मामले में जेल में हैं। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या वो इसी मामले में जेल में हैं। तब साल्वे ने कहा कि मैं आज वो चीज दिखाने जा रहा हूं, जिसके बाद कोर्ट अर्णब को अंतरिम राहत देगी।
साल्वे ने विधानसभा के सचिव का पत्र दिखाया, जिस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि ये क्या है। तब साल्वे ने कहा कि ये नागपुर जेल में 1940 में एक कैदी की ओर से तत्कालीन चीफ जस्टिस को भेजा गया पत्र था, जिसे जेल अधीक्षक ने रोक लिया। उसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस ने अवमानना का नोटिस जारी किया था। चीफ जस्टिस ने पूछा कि विधानसभा की ओर से कौन पेश हुआ है। तब साल्वे ने कहा कि हमने उन्हें कई बार नोटिस तामील किया लेकिन वे पेश नहीं हुए। साल्वे ने कहा कि उन्होंने एक कारण बताओ नोटिस भेजा है कि उनके नोटिस को कोर्ट में क्यों दिखाया। तब कोर्ट ने कहा कि एक अधिकारी की ऐसी हिम्मत कैसे हुई। तब साल्वे ने कहा कि अर्णब को अंतरिम राहत दी जाए। उनके खिलाफ एक केस के बाद दूसरा और उसके बाद तीसरा केस दर्ज हो रहे हैं। इन पर संवैधानिक कोर्ट को देखना चाहिए।
साल्वे ने महाराष्ट्र विधानसभा में अन्वय नायक के सुसाइड मामले पर चर्चा को उद्धृत करते हुए कहा कि गृह मंत्री ने विधानसभा के पटल पर कहा कि अर्णब गोस्वामी को हिरासत में लेना चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ये कहने का उनका अधिकार है कि सुसाइड केस के किसी अभियुक्त को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। तब साल्वे ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए, राजनीतिक दिशानिर्देश जारी नहीं होने चाहिए। एक तरफ महाराष्ट्र विधानसभा पेश नहीं हो रही है और दूसरी तरफ कोर्ट में नोटिस देने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर रही है। तब अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुसाइड केस का मामला दूसरी कोर्ट में है। तब कोर्ट ने कहा कि हम उसके बारे में बात नहीं कर रहे हैं। आप किसी को इस बात के लिए धमका कैसे सकते हैं कि कोर्ट में नोटिस क्यों दिखाया। साल्वे ने कोर्ट से विधानसभा सचिव के पत्र पर संज्ञान लेने की मांग की।
पिछले 12 अक्टूबर को हरीश साल्वे ने कहा था कि कोर्ट का नोटिस विधानसभा को तामिल नहीं किया जा सका है। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसके बाद गोस्वामी को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।