सीबीआई ने हॉक विमान की खरीद में ‘धोखाधड़ी’ पर ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया

– रोल्स रॉयस ने भारतीय अधिकारियों से बिचौलियों तक 1 मिलियन की रिश्वत दी

– धोखाधड़ी मामलों की एक ब्रिटिश जांच एजेंसी ने रिश्वत व कमीशनखोरी पकड़ी

नई दिल्ली (हि.स.)। सीबीआई ने 24 हॉक विमान की खरीद में सरकार के साथ ‘धोखाधड़ी’ करने के आरोप में ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ब्रिटिश एयरोस्पेस कंपनी रोल्स रॉयस इंडिया के निदेशक टिम जोन्स समेत अन्य कई लोगों का नाम एफआईआर में आया है। सीबीआई का कहना है कि रोल्स रॉयस ने कथित तौर पर भारतीय बिचौलियों को लाइसेंस शुल्क बढ़ाने और फिर कंपनी के कर मामलों की जांच रोकने के लिए 1 मिलियन पाउंड की रिश्वत दी।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रोल्स रॉयस से हॉक विमान की खरीद के मामले में कथित रूप से भारत सरकार को धोखा देने के लिए ब्रिटिश एयरोस्पेस कंपनी रोल्स रॉयस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अज्ञात अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग करके कुल 24 हॉक 115 एडवांस जेट ट्रेनर (एजेटी) विमान 734.21 मिलियन जीबीपीसे खरीदे, जिसके बदले अधिकारियों से बिचौलियों तक निर्माता कंपनी की ओर से भारी रिश्वत और कमीशन का भुगतान किया गया।

सीबीआई का आरोप है कि भारत सरकार को धोखा देने के उद्देश्य से ब्रिटिश एयरोस्पेस कंपनी रोल्स रॉयस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और निजी व्यक्तियों सुधीर चौधरी और भानु चौधरी और अन्य अज्ञात अधिकारियों ने मैसर्स रोल्स रॉयस टर्बोमेका लिमिटेड सहित रोल्स रॉयस पीएलसी, यूके और इसकी सहयोगी समूह कंपनियों के साथ यह सांठगांठ की। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि जांच में यह भी खुलासा हुआ कि रोल्स रॉयस ने कंपनी के कर मामलों की जांच को रोकने के लिए भारत में कर अधिकारियों को रिश्वत दी।

रक्षा मंत्रालय की सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने 03 सितंबर, 2003 को 66 हॉक 115 विमानों की खरीद और सरकारों के बीच एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी। भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच 19 मार्च, 2004 को दीर्घकालिक उत्पाद समर्थन के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद 26 मार्च, 2004 को रक्षा मंत्रालय और बीएई सिस्टम्स/रोल्स रॉयस के बीच 24 हॉक विमानों की सीधी आपूर्ति और 42 विमानों का हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लाइसेंस पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत में ही निर्माण किये जाने के लिए हस्ताक्षर किए गए।

सीबीआई के अनुसार अनुबंधों में निर्देश दिया गया था कि आपूर्तिकर्ता रोल्स रॉयस और बीएई सिस्टम्स पुष्टि करेंगे कि इस सौदे में किसी भी एजेंट या बिचौलियों को हस्तक्षेप करने या किसी भी तरह से भारत सरकार को सिफारिश करने के लिए शामिल नहीं किया है। बाद में ब्रिटेन के सीरियस फ्रॉड आफिस (एसएफओ) ने 2012 में आरोपों की जांच शुरू की कि रोल्स रॉयस भारत और अन्य देशों में परियोजनाओं को हासिल करने में भ्रष्ट आचरण में शामिल है। जांच से पता चला कि रोल्स रॉयस ने लाइसेंस शुल्क को 4 मिलियन जीबीपी से बढ़ाकर 7.5 मिलियन करने के लिए भारतीय बिचौलियों को 1 जीबीपी मिलियन की रिश्वत दी।

सुनीत/पवन

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