सिद्धपीठ स्थित बुढ़िया माई के तेज से समूचा आध्यात्मिक जगत प्रकाशमान- महामंडलेश्वर

-‘भज सेवायाम’ को मूलमंत्र मान धार्मिक अनुष्ठान के साथ समाज सेवा को भी भजन मानता है सिद्धपीठ

-शांति व क्रांति के द्योतक संत महात्मा आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्र सेवा में सीमा पर रहेंगे सबसे आगे

सिद्धपीठ पर 750 वर्ष प्राचीन परंपरा के तहत ध्वज पूजन, शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन, शिवपूजन, शक्ति पूजन व शमी वृक्ष पूजन में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

गाजीपुर (हि.स.)। सिद्धपीठ के गुरुजनों के बताए मार्ग का अनुसरण करने वाला शिष्य समुदाय पाकर मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूं। ऐसे में इस पीठ के 26 वें पीठाधीश्वर के रूप में विगत 26 वर्षों से परंपराओं का निर्वहन कर मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूं।

महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने विजयादशमी के अवसर पर सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में उपस्थित शिष्य श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा।

श्री यति जी ने ‘भज सेवायाम’ पर प्रकाश डालते हुए कहाकि सिद्धपीठ हथियाराम मठ के ब्रह्मलीन गुरुजी लोग प्राचीन समय से भज सेवायाम को मूल मंत्र मानते हुए समाज सेवा को भी भजन का ही स्वरूप मानते रहे। जिनके द्वारा स्थापित गुरुकुल शिक्षालय, इंटर कॉलेज, महाविद्यालय इत्यादि समाज सेवा का कार्य करते हैं।

गुरुकृपा महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रावण वध के उपरांत जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम घर लौटे, तब माता कौशल्या द्वारा उनके युद्ध के विषय में सवाल पूछे जाने पर भगवान राम ने कहाकि मैंने कुछ नहीं किया, यह सब गुरुजनों के आशीर्वाद से संभव हुआ है।

-राष्ट्रसेवा के लिए कृतसंकल्पित आरएसएस प्रचारक होते हैं सन्त के समान- महामंडलेश्वर

श्री यति जी ने विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी व कानपुर प्रांत प्रचारक श्रीराम जी को संत स्वरूप का दर्जा देते हुए कहाकि संघ प्रचारक गृह त्याग कर राष्ट्र सेवा व धर्म सेवा के नियमित कार्य करने का कार्य करते हैं। सभी प्रचारक एक संत के समान ही होते हैं जिन का सम्मान हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है।

धर्म, संस्कृति और राष्ट्र रक्षा के लिए कृत संकल्पित है सिद्धपीठ हथियाराम मठ : रमेश

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में आयोजित संत समागम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत प्रचारक रमेश ने कहाकि यह गर्व का विषय है कि जिस आध्यात्मिक परंपरा और प्रतिष्ठा के कारण पूरे विश्व में भारत की एक जगत प्रतिष्ठा है, उसका केंद्र बिंदु सिद्धपीठ हथियाराम मठ है। एक बार जो संपर्क में आ गया, वह धन्यता को प्राप्त कर गया। जब समाज देश पर संकट आता है तो समाधान भी या मठ ही प्रदान करता है।

नीति से अदालत, नियत से परिवार और समाज चलता है : श्रीराम

कानपुर प्रान्त प्रचारक श्रीराम ने कहाकि सिद्धपीठ हथियाराम मठ प्रबुद्ध व समृद्ध है। यहां से जुड़े शिष्य श्रद्धालुओं का वैचारिक विकास देखते ही बनता है। समाज की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहाकि नीति से अदालत चलती है जबकि नीयत से परिवार व समाज चलते हैं। ऐसे में स्वस्थ समाज की स्थापना में हम सभी के नियत काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके पूर्व 750 वर्ष प्राचीन परंपरा के तहत महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज द्वारा शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन, ध्वजा पूजन, शिवपूजन, शक्ति पूजन, शमी वृक्ष पूजन के साथ ही सिद्धेश्वर महादेव मंदिर रुद्राभिषेक के उपरांत भव्य संत समागम का आयोजन करते हुए वर्ष में एक बार बताने वाले बुढ़िया माई के भोग प्रसाद हलवा पूड़ी का प्रसाद वितरण किया गया। जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

बुढ़िया माई का 750 वर्ष प्राचीन परम्परागत भोग प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं की लगी कतार

गाजीपुर। जनपद के जखनियां तहसील क्षेत्र में स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर विजयादशमी के दिन साल भर में एक बार प्राप्त होने वाला बुढ़िया माई को चढ़ाया हुआ भोग प्रसाद हलुवा पूड़ी प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं की देर शाम तक कतार लगी रही।

750 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ अध्यात्म जगत में एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है। जहां की अधिष्ठात्री देवी मृण्मई वृद्धम्बिका देवी (बुढ़िया माई) को साल में एक बार विजयादशमी के दिन हलवा पुरी का भोग लगाया जाता है। जिसका वितरण शिष्य श्रद्धालुओं को भी महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज द्वारा किया जाता है। जिसे पाने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। विजयादशमी के तहत शुक्रवार की देर शाम तक श्रद्धालुओं की कतार लगी रही।

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