सार्क देशों की बैठक में विदेश मंत्री ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा
– सीमापार से आतंकवाद, व्यापार में बाधा, कनेक्टिविटी में रुकावट सार्क के सामने बड़ी चुनौतियां
नई दिल्ली(हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुरुवार को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों की मंत्रिस्तरीय अनौपचारिक बैठक में आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि सार्क के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां सीमापार से आतंकवाद, व्यापार में बाधा, कनेक्टिविटी में रुकावट हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुरुवार को सार्क मंत्रिपरिषद की वार्षिक अनौपचारिक बैठक में भाग लिया। नेपाल की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में सभी सार्क सदस्य देशों ने भाग लिया। 1997 के बाद से संयुक्त राष्ट्र की आमसभा के दौरान विदेश मंत्रियों की उपस्थिति का लाभ उठाते हुए नियमित तौर पर यह बैठक होती रही है। पिछली बैठक 26 सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में हुई थी। बैठक में पिछली बैठक के बाद से हुए क्षेत्रीय सहयोग की स्थिति पर महासचिव ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक में आतंकवाद के संकट निपटने के लिए सामूहिक रूप से समाधान खोजने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके तहत हमें आतंक और संघर्ष के वातावरण का पोषित, समर्थन और प्रोत्साहन करने वालों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने कहा कि आतंक दक्षिण एशिया सामूहिक सहयोग और समृद्धि से जुड़ी अपनी पूर्ण क्षमता का एहसास करने के उद्देश्य में बाधा बना हुआ है।
बैठक में कोविड -19 महामारी से निपटने के क्षेत्रीय प्रयासों की समीक्षा की गई। प्रतिभागियों ने 15 मार्च 2020 को सार्क नेताओं का एक वीडियो सम्मेलन आयोजित करने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की। इस बैठक में सार्क कोविड-19 इमरजेंसी फंड के निर्माण का निर्णय लिया गया जिसमें सभी देशों ने स्वैच्छिक योगदान दिया। जयशंकर ने अपने बयान में एक जुड़े, एकीकृत, सुरक्षित और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया।
उन्होंने सार्क लीडर्स वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद फॉलो-अप में भारत द्वारा उठाए गए उपायों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. एस जयशंकर ने बताया कि सार्क कोविड-19 इमरजेंसी फंड में भारत के योगदान के तहत, सार्क क्षेत्र के देशों को 2.3 मिलियन की राशि की आवश्यक दवाओं, चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों, कोविड सुरक्षा और परीक्षण किट और अन्य उपकरणों की आपूर्ति उपलब्ध कराई गई। उन्होंने कोवि-19 महामारी से निपटने में दक्षेस क्षेत्र में देशों की सहायता करने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराया।