साइबर सुरक्षित भारत के निर्माण की ओर बढ़ते कदम
मुकुंद
यह 21वीं सदी है। इस सदी ने दुनिया को इलेक्ट्रानिक, सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का बड़ा उपहार दिया है। भारत के लिए तो यह एक तरह से क्रांति जैसी है। इस युग में कंप्यूटर, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरण और सुविधाएं आम लोगों तक के जीवन का सबसे अहम हिस्सा बन गए हैं। इस युग का सबसे बड़ा सच यह है कि इन सुविधाओं के बिना आसान जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस पर निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि सामान्य बातचीत से लेकर व्यापार, सरकारी और गैरसरकारी कामकाज, शिक्षा, बैंकिग लेनदेन, खरीद-फिरोख्त जैसी सभी गतिविधि ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम से संचालित हो रही हैं।
बड़ा तथ्य यह है कि वर्ष 2020 तक भारत में इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या 70 करोड़ तक पहुंच गई थी। वर्ष 2025 तक इसके 97.4 करोड़ तक का आंकड़ा छूने की उम्मीद है। इस लिहाज से देखा जाए तो भारत, चीन के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है। इस क्रांति ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को तो बदला ही है पर इसमें अपराध जगत ने सेंध लगा दी है। आज दुनिया का हर देश अपने नागरिकों को इनके जाल से बचाने के लिए प्रयासरत है। इसमें भारत का गृह मंत्रालय अपने स्तर पर हर चंद कोशिश कर रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में साइबर सुरक्षित भारत का निर्माण करना गृह मंत्रालय की एक सर्वोच्च प्राथमिकता है। गृह मंत्रालय साइबर अपराध को रोकने और लोगों को साइबर खतरे से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। नागरिक ऐसे धोखेबाजों के फोन नंबर और सोशल मीडिया हैंडल के बारे में www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट कर मदद करें।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4सी) देश में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए गृह मंत्रालय की बड़ी पहल है। पीआईबी की ताजा विज्ञप्ति के अनुसार I4सी ने अपने वर्टिकल नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (एनसीटीएयू) के माध्यम से पिछले सप्ताह संगठित निवेश-कार्य आधारित– पार्ट टाइम नौकरी देने की धोखाधड़ी में शामिल 100 से अधिक वेबसाइटेस की पहचान कर उन पर अंकुश लगाने की सिफारिश की। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत इन वेबसाइट्स को अवरुद्ध कर दिया।
यह खुलासा हुआ है कि इन वेबसाइट्स का संचालन विदेशी एजेंट करते हैं। डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर, म्यूल और रेन्टिड खातों का प्रयोग करके कार्ड नेटवर्क, क्रिप्टो मुद्रा, विदेशी एटीएम निकासियों और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों का उपयोग करके आर्थिक धोखाधड़ी से प्राप्त अवैध धन को भारत से बाहर बड़े पैमाने पर वैध करते हुए (मनीलॉन्ड्रिंग) पाया गया है। केंद्र सरकार के जागरुकता अभियान का असर यह है कि आम लोग अब 1930 हेल्पलाइन और एनसीआरपी के माध्यम से शिकायतें कर रहे हैं। यह अपराधी विदेशी विज्ञापनदाताओं के माध्यम से कई भाषाओं में घर बैठे नौकरी, घर बैठे कमाई कैसे करें आदि जैसे प्रमुख शब्दों का उपयोग करते हुए गूगल और मेटा जैसे मंचों पर लक्षित डिजिटल विज्ञापन देते हैं। इनके निशाने पर अधिकतर सेवानिवृत्त कर्मचारी, महिलाएं और पार्ट टाइम नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार युवा रहते हैं।
ऐसे विज्ञापनों पर क्लिक करने पर, व्हाट्स ऐप और टेलीग्राम का उपयोग करने वाला एक एजेंट संभावित पीड़ित व्यक्ति के साथ बातचीत शुरू करता है, जो उसे वीडियो लाइक और सब्सक्राइब, मैप्स रेटिंग आदि जैसे कुछ कार्य करने के लिए तैयार करता है। कार्य पूरा होने पर ऐसे शिकार व्यक्ति को शुरू में कुछ कमीशन दिया जाता है और उसे दिए गए कार्य के बदले अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए और अधिक निवेश करने के लिए कहा जाता है। विश्वास हासिल करने के बाद जब वह व्यक्ति बड़ी रकम जमा करता है, तो जमा राशि जब्त कर ली जाती है और इस तरह उस व्यक्ति को धोखा दिया जाता है।
केंद्र सरकार की सलाह है कि इंटरनेट पर प्रायोजित इस तरह की अधिक से अधिक कमीशन का भुगतान करने वाली ऑनलाइन योजनाओं में निवेश करने से पहले सोच-समझ कर निर्णय लें। यदि कोई अज्ञात व्यक्ति आपसे व्हाट्स ऐप और टेलीग्राम पर संपर्क करता है तो उसके साथ बिना उचित सत्यापन के वित्तीय लेनदेन करने से बचा जाए। यूपीआई ऐप में उल्लिखित रिसीवर के नाम का उचित तरीके से सत्यापन करें। यदि प्राप्तकर्ता कोई रेंडम व्यक्ति है, तो यह एक म्यूल खाता हो सकता है और उसकी योजना धोखाधड़ी हो सकती है। इसी तरह, उस स्रोत की भी जांच करें जहां से प्रारंभिक कमीशन प्राप्त हो रहा है। नागरिकों को अज्ञात खातों से लेनदेन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण में शामिल हो सकते हैं।
(लेखक, हि. समाचार से संबद्ध हैं।)