समाज सेवियों के सहयोग से “रमजान किट” वितरण किया गया
संवाददाता रोहित कुमार गुप्ता उतरौला (बलरामपुर) “कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…!
इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है कस्बे के सीमाब ज़फर उर्फ डब्बू भाई ने जो कि समाज में नज़ीर बन रहा है । “अभिव्यक्ति” संस्था विगत कई सालों से रमजान के महीने में अपने मेंबर्स और कुछ समाज सेवियों के सहयोग से “रमजान किट” वितरण का आयोजन करती आ रही है । इस बार ये किट तकरीबन 110 मुस्तहिक परिवारों तक पहुंचाया गया है ।
रमजान किट का कॉन्सेप्ट दर असल गुरबा मसाकीन के लिए रमजान में सहरी और अफतार का दस्तरख़्वान सजाने की कोशिश है।
लोगों के नजदीक रमज़ान का महीना बरकतों और रहमतों का महीना है लेकिन गरीबों के लिऐ यह इन्ताहाई मुशकिल महीना होता है । मसअला यह है कि अगर काम नहीं करेगें तो फिर खाऐंगे क्या, क्योंकि बच्चे तो लाज़मी दूसरों के बच्चों की तरह अफ्तारी में पकोड़े, खजूरें और दूसरी चीज़ों की डिमांण्ड करतें हैं। उन को क्या पता के बाप पर क्या गुज़र रही है ? क्योंकि गरीब के घर पैदा होने में उनका तो कोई क़ुसूर नहीं है।
बेहतर है कि हम उन गरीब लोगों के दस्तरख़्वान सजाने की कोशिश करें
यह महीना समाज के ग़रीब और ज़रूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है । ईमानदारी से हम अपना जायज़ा लें कि क्या वाकई हम लोग मोहताजों और ग़रीबों की वैसी ही मदद करते हैं जैसी करनी चाहिए
संस्था के सचिव अबुल हाशिम ने कहा कि ग़रीब व मज़लूम चाहे किसी भी धर्म का क्यूं न हो हमें उसकी भी मदद करने की शिक्षा दी गई है , दूसरों के काम आना और किसी का दिल न दुखाना भी एक इबादत समझी जाती है ।
सीमाब ज़फर का मानना है कि अगर सिर्फ चंद लोग 110 परिवारों की खुशियों का सबब बन सकते हैं तो अगर आप सब इस तरह का प्रोग्राम करें तो शायद उतरौला और ऐतराफ में कोई भी गरीब रमजान में सेहरी और अफ़तार के लिए परेशान ना हो और अपनी जद्दोजहद में से बचे वक़्त में इबादत के लिए भी रूजू कर सकेगा ।
अन्सार खान ने कहा कि रमजान के महीने में सदका , ज़कात और खैरात का बहुत बड़ा सवाब है। पैगंबर हजरत मुहम्मद सoवo यूं तो हमेशा सदका व खैरात किया करते थे लेकिन खासकर रमजान में बेपनाह खर्च करते थे । इस्लाम में इस बात पर बहुत शिद्दत से ध्यान दिया गया है कि कोई भी गरीब इंसान भूखे पेट ना सोये और नंगे बदन ना रहे। जैसे कि हर साल “रमज़ान किट” सीमाब ज़फर के बड़े भाई और अभिव्यक्ति के अध्यक्ष मरहूम जनाब डॉ शेहाब ज़फर साहब की शुरू की गई थी जिस अहम कारगुजारी को उनकी यादगार के तौर पर आगे भी करते रहेंगे ।
एक किट की कीमत इस साल लगभग 2300 ₹ आ रही है ।
( किट में दिए जाने वाले सामानों की लिस्ट )
आटा 5 किलो
चावल 5 किलो
शक्कर 3 किलो
बेसन 2 किलो
चना 2 किलो
मटर 2 किलो
अरहर दाल 1 किलो
मटर दाल 1 किलो
लच्छा 1 किलो
कड़वा तेल 1 लीटर
रिफाइन्ड 1 लीटर
रूह अफज़ा 1 बोतल
खजूर एक पैकेट
चिप्स 1 किलो
दूध 1 लीटर
चाय की पत्ती 250 ग्राम
टाटा नमक 1 किलो
माचिस 1 बॉक्स
प्याज़ 3 किलो
आलू 5 किलो
इस नेक काम में कई सामाजिक लोगों ने हिस्सा लिया अनवर महमूद पूर्व विधायक, अन्सार खान, एजाज़ मालिक, लकी खान, अबुल हाशिम , फैज़ान सिद्दीकी, अब्दुर्रहमान सिद्दीकी , डॉ इफ्तेखार, डॉ. मोबीन, डॉ सगीर, डॉ नज़र मोहम्मद, डॉ अब्दुल क़य्यूम, असलम खान , फरीद सूरी , चाँद खाँ , शादाब ज़फर आदि मौजूद रहे।