सत्ता पक्ष के उगाही का जरिया रहा ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ : कांग्रेस
नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्टोरल (चुनावी) बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिए जाने पर कांग्रेस ने खुशी जाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उगाही का आरोप लगाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि भाजपा को ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ से 5200 करोड़ रुपये मिले हैं। ये रुपये किसने दिए, यह बात देश को बताना चाहिए। ऐसे में कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि एसबीआई तमाम जानकारी को सार्वजनिक पटल पर रखे, जिससे जनता को मालूम पड़े कि किसने कितना पैसा दिया।
खेड़ा ने कहा कि ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ स्कीम मोदी सरकार ‘मनी बिल’ के तौर पर लाई थी, ताकि राज्यसभा में इसपर चर्चा न हो, यह सीधा पारित हो जाए। ऐसे में हमें डर है कि कहीं फिर से कोई अध्यादेश जारी न हो जाए और मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बच जाए।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सीधे-सीधे प्रधानमंत्री शामिल हैं। देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड को थोपा गया जबकि चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और लॉ मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने विरोध किया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मोदी सरकार की ‘चुनावी बॉन्ड योजना’ को रद्द करने के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत करती है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनावी बॉन्ड योजना संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ ही भारत के संविधान का भी उल्लंघन कर रही है। वर्ष 2017 में जब इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था, तब से कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध कर रही है। यह प्रक्रिया अपारदर्शी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल (चुनावी) बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी छह मार्च तक चुनाव आयोग को दे। चुनाव आयोग 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। अभी जो बांड कैश नहीं हुए हैं, राजनीतिक दल उसे बैंक को वापस करें।
आशुतोष/दधिबल