सड़क हादसों में कमी लाने में जुटी प्रदेश सरकार

-उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने कसी कमर, सभी विभागों को जागरूकता लाने के लिए लिखा पत्र

-बेसिक स्कूलों के बच्चे वाल पेंटिंग और रैली के जरिए लोगों को बताएंगे सुरक्षित वाहन चलाने के तरीके

लखनऊ (हि. स.)। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में सड़क हादसों में कमी लाने के लिए कमर कस ली है। इस संबंध में परिवहन विभाग की ओर से कई विभागों को अपने कर्मचारियों एवं आम नागरिकों को सड़क हादसों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाने को कहा है। इसी कड़ी में संयुक्त शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिलों के बेसिक स्कूलों में बच्चों के द्वारा सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान में हिस्सा लेने को कहा गया है।

साथ ही, स्कूलों में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति का गठन करने को कहा गया है। गौरतलब है कि अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया की ओर से सड़क सुरक्षा को लेकर यह पत्र पुलिस विभाग, ट्रैफिक, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, स्थानीय निकाय, बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा को जारी किया है।

दुर्घटनाएं रोकने के लिए करें सामूहिक प्रयास

परिवहन विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि शासन द्वारा सड़क दुर्घटनाओं एवं इनमें मरने वालों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए सड़क सुरक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। मुख्य सचिव द्वारा इस वर्ष और बीते वर्ष सड़क दुर्घटनाओं एवं मृतकों की संख्या में गत वर्ष के सापेक्ष वर्तमान वर्ष में 10 प्रतिशत की कमी लाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या में कमी लाए जाने हेतु नियमित रूप से निर्देश दिए जा रहे हैं। साथ ही, किए जा रहे प्रयासों की भी तिमाही समीक्षा की जा रही है। दुर्घटनाओं और मृतकों की संख्या में कमी लाए जाने के लिए जरूरी है कि सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी विभाग पारस्परिक सहयोग से समेकित प्रयास करें। साथ ही परिवहन विभाग द्वारा प्रकाशित रोड एक्सीडेंट इन उत्तर प्रदेश 2021 पत्रिका के आधार पर विभाग रोड सेफ्टी एक्शन प्लान एवं प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चत करें।

स्कूलों में चलेगा जागरूकता कार्यक्रम

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संयुक्त शिक्षा निदेशक (बेसिक) गणेश कुमार की ओर से सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को इसी संबंध में एक पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जनपद के सभी प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया जाए कि वह अभिभावकों के साथ बैठक करें, विद्यालयों में असेंबली के समय सड़क सुरक्षा के विषय में बच्चों को बताएं, स्कूल परिसर की दीवारों पर यातायात नियम व नारे प्रदर्शित कराएं। समय-समय पर आयोजित होने वाले सड़क सुरक्षा सप्ताह में प्रतिभागिता सुनिश्चत कराएं। जनपदों के प्रत्येक विद्यालयों में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति का गठन आवश्यक रूप से किया जाए।

उत्तर प्रदेश सरकार रोड सेफ्टी को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। इसमें जागरूकता अभियान के साथ-साथ सुरक्षित रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से लेकर ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई शामिल है। इसके अलावा योगी सरकार ने स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल का गठन किया है जो रोड सेफ्टी से जुड़े महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले ले रही है। काउंसिल की बैठक साल में दो बार निर्धारित है, जिसकी अगुवाई स्वयं मुख्यमंत्री करते हैं। सरकार ने रोड सेफ्टी के लिए ‘4 ई’ कांसेप्ट को फॉलो करने का फैसला किया है, जो रोड और व्हीकल की एजुकेशन, इंजीनियरिंग, इनफोर्समेंट और इमरजेंसी केयर से जुड़ा है। राज्य द्वारा रोड नेटवर्क का साल में दो बार सर्वे करने और ब्लैक स्पॉट को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है। इसी के तहत 2018 में 1270 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए थे। इन ब्लैक स्पॉट को खत्म करने के लिए सरकार विश्वकर्मा एप पर काम कर रही है। यही नहीं, ड्राइविंग स्किल को भी सुधारने पर जोर दिया गया है। ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक कुछ जगहों पर शुरू हो चुका है। साथ ही 15 जिलों में मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की भी शुरुआत की गई है। रायबरेली में ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की जा रही है।

दिलीप शुक्ल

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