शिव भक्तों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का कोई मतलब नहीं
संवाददाता
श्रावस्ती। हर-हर महादेव से शिवालय गूंजते रहे। बोल बम के जयकारों से भारत-नेपाल सीमा पर स्थित विभूतिनाथ मंदिर भोर होते ही गूंजने लगा। तीन बजते ही श्रद्धालुओं की कतार जलाभिषेक के लिए लग गई। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। हालाकि शारीरिक दूरी के नियम जलाभिषेक के दौरान दर-किनार रहे। शारीरिक दूरी का अनुपालन श्रद्धालुओं द्वारा नहीं किया गया। हिमालय की तलहटी में स्थित पांडव कालीन विभूतिनाथ (गुप्त काशी) शिवभक्तों के आस्था व विश्वास का केंद्र है। सावन के तीसरे सोमवार को जलाभिषेक के लिए आस्था का सैलाब उमड़ता रहा। कांवड़िए भी जलाभिषेक के लिए पहुंचे। शिवभक्त रात से ही स्नान कर गंगा जल, बेल पत्र, पुष्प, भांग, धतूर, शहद आदि की थालियों के साथ कतारबद्ध होकर जलाभिषेक के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे। पूरा परिसर हर-हर महादेव व बोल बम के जयकारों से गूंजता रहा। श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र न होने पाए इसके लिए आश्रम के महंथ सोमनाथ गिरी, पुजारी नंद राम गिरि व उमाशंकर पांडेय की ओर से रात दो बजे ही भोले शिव का पूजन-अर्चन कर मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे। कपाट खुलते ही शिव भक्तों ने जलाभिषेख कर मनोवांछित फल पाने की कामना की। प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार पांडेय महिला व पुरुष पुलिस कर्मियों के साथ सुरक्षा में मुस्तैद रहे। इसके अलावा गिलौला ब्लॉक के झारखंडी, सदाशिव, जगतपति मंदिर आदि शिव मंदिरों में जलाभिषेक देर शाम तक होता रहा। हर-हर महादेव के जयकारों से शिवालय गूंजते रहे।