व्यापार : मजबूती की ओर शेयर बाजार, आगे भी तेजी के हैं आसार

नई दिल्ली (हि.स.)। पिछले साल 23 मार्च को कोरोना से बचाव के मद्देनजर देश में लगाए गए लॉकडाउन के बाद भारतीय शेयर बाजार ने पहले जबरदस्त बिकवाली के दबाव का सामना किया लेकिन बाद में उसी तेजी के साथ मार्केट ने रिकवरी भी की। 23 मार्च, 2020 से लेकर अभी तक की अवधि में भारतीय शेयर बाजार करीब 90 फीसदी अंकों की रिकवरी कर चुका है। इसमें आगे भी तेजी बने रहने के आसार हैं। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो शेयर बाजार में भगदड़ जैसे हालात बन गए। घबराहट में निवेशक बाजार में जमकर बिकवाली करने लगे। नतीजतन, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में ही तेज गिरावट का रुख बना। हालांकि एक बार जब बिकवाली का दबाव कम हुआ तो फिर शेयर बाजार में तेजी के दौर की वापसी शुरू हुई। इसके कारण लॉकडाउन के बाद के एक साल के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सूचकांक सेंसेक्स में 86 फीसदी की तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सूचकांक निफ्टी में करीब 88 फीसदी की तेजी दर्ज की जा चुकी है। 
कैपिटल ग्लोबल रिसर्च के कंट्री हेड संदीप अग्रवाल का कहना है कि यदि शेयर बाजार में यही माहौल बना रहा और कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई तो 2021-22 में भी शेयर बाजार में ऊपर चढ़ने का ट्रेंड बना रह सकता है। अग्रवाल के मुताबिक अक्टूबर 2020 के बाद से ही देश की इकॉनमी को प्रभावित करने वाले सभी सेक्टर्स का प्रदर्शन सुधरा है। इन सेक्टर्स में बैंकिंग सेक्टर, एनबीएफसीज (नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां), मेटल और माइनिंग, कैपिटल गुड्स और रियल एस्टेट शामिल हैं। इनके प्रदर्शन में सुधार से पूरे शेयर बाजार के प्रदर्शन पर ओवरऑल असर पड़ा है। 
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक 250 से ज्यादा शेयरों में अक्टूबर 2020 के बाद जबरदस्त मुनाफा हुआ है। इनमें तानला प्लेटफॉर्म्स का नाम सबसे ऊपर है, जिसने करीब 2 हजार फीसदी की छलांग लगाई है। 23 मार्च 2020 को ये शेयर 32.11 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा था। लेकिन बाद में जब इसमें उछाल आया तो इस साल चार मार्च को इसकी कीमत 1120 रुपये प्रति शेयर तक पहुंच गई थी। इसके अलावा अडाणी ग्रीन एनर्जी, अडाणी टोटल गैस, अडाणी इंटरप्राइजेज, वैभव ग्लोबल, आरती ड्रग्स, हिन्दुस्तान कॉपर्स और डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया) के शेयरों ने 500 से 800 फीसदी तक की बढ़त दिखाई है। मेटल, ऑटो और आईटी सेक्टर ने इस दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं एफएमसीजी, पीएसयू बैंक और फार्मा सेक्टर का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुकूल नहीं हो सका। जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण की वापसी के डर, मुनाफा वसूली और कुछ हद तक मार्केट करेक्शन के कारण बाजार में उथलपुथल जैसे हालात जरूर बने हैं, लेकिन बाजार से लॉन्ग टर्म के संकेत अच्छे हैं। जैसे-जैसे जीडीपी ग्रोथ रेट में तेजी आने के संकेत मिल रहे हैं, वैसे-वैसे शेयर बाजार की आगे बढ़ने की तस्वीर भी साफ होती जा रही है। हालांकि कुछ लोगों का ये भी कहना है कि अगर मौजूदा तिमाही यानी 2020-21 की आखिरी तिमाही में अपेक्षा के अनुरूप विकास दर में बढ़ोतरी नहीं हुई, तो शेयर बाजार में एक बार फिर थोड़े समय के लिए करेक्शन का दौर चल सकता है। बाजार में बिकवाली का भी मामूली दबाव बन सकता है। अमेरिकी बाजार में बॉन्ड यील्ड की मजबूती भी दुनियाभर के शेयर बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार पर भी कुछ असर डाल सकती है, लेकिन भारत के फंडामेंटल्स की मजबूती के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। इससे शेयर बाजार पर भी कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। 
जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार में मौजूदा समय के उतार चढ़ाव से घबड़ाने की जगह निवेशकों को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे समय में छोटी अवधि की खरीद बिक्री (शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग) से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें निवेशकों को चूना भी लग सकता है, लेकिन अगर निवेशक लंबी अवधि के लिए बाजार में सोच-समझकर निवेश करते हैं, तो उन्हें आगे चलकर बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद की जा सकती है। 

error: Content is protected !!