विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधाओं की बात स्पष्ट नहीं करता पावर कारपोरेशन
लखनऊ(हि.स.)। विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधाओं की बात जहां भी आती है पावर कारपोरेशन उसको स्पष्ट उल्लिखित नहीं करता। इससे उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिल पाता है और उन्हें भ्रष्ट तंत्र का शिकार बनना पड़ता है। इसी तरह नए विद्युत संयोजन की प्रक्रिया के लिए जारी पुस्तिका में भी स्पष्टता का अभाव देखने को मिल रहा है।
प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से आईटी नेटवर्क पर 50 किलो वाट तक भार के नए विद्युत संयोजन को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए एक प्रक्रिया जारी की गई है। इसमें 40 मीटर से अधिक दूरी पर कनेक्शन के मामले में प्रक्रिया को अपनाने का खुलासा किया गया है। इस खुलासे भी पावर कारपोरेशन ने चालाकी दिखाई है और जिससे विद्युत उपभोक्ताओं को व्यापक लाभ मिलना है, उसे ही छुपा लिया गया है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि नए कानून में 40 मीटर से अधिक दूरी मामले में यदि दो उपभोक्ता उसी क्षेत्र में एक साथ विद्युत कनेक्शन लेते हैं तो एक विद्युत खंभे का पूरा खर्च बिजली विभाग देगा। ऐसे मामले में स्टीमेट का खर्च उपभोक्ता को नहीं देना पड़ेगा। यदि उसके आगे पुनः दो उपभोक्ता एक साथ बिजली का कनेक्शन मांग लेंगे तो ऐसी स्थिति में पुन: वही नियम लागू होगा।
उपभोक्ता परिषद ने आगे पावर कॉरपोरेशन से यह भी मांग उठाई कि जिस प्रकार से वर्तमान में सरलीकरण की दिशा में पावर कॉरपोरेशन डिस्कामो के लिए प्रश्नोत्तरी टाइप आदेश जारी कर रहा है। इस समय उसे इस दिशा में भी एक पारदर्शी मार्ग दर्शक नीति जारी करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि मुआवजा कानून लागू होने के बाद भी उपभोक्ता मुआवजा कानून का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। वह मुआवजा कानून का लाभ कैसे लें, यह भी प्रश्नोत्तरी पावर कॉरपोरेशन जारी करें।
इसके साथ ही विजिलेंस बीइंग व पावर कॉरपोरेशन की रेड टीम द्वारा आए दिन अनेकों क्षेत्रों में बिजली चोरी पकड़ने के बाद उस क्षेत्र में डीलिंग चल रही है। वहीं कनेक्शन देने में भ्रष्टाचार चल रहा है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अन्य मामलों में असेसमेंट पर हो रही डीलिंग के मामले में क्या करें। इस पर स्पष्ट नीति होनी चाहिए। भ्रष्टाचार पर भी कोई स्पष्ट नीति होना जरूरी है। विद्युत उपभोक्ताओं का उत्पीडन अनुचित मांग पर पूर्णतया अंकुश लगाना बहुत जरूरी है।
उपेन्द्र/मोहित