विज्ञानं एवं तकनीक : दो दिनों में दूसरी बार आकाश-एनजी ने आसमान में दिखाई ताकत

नई पीढ़ी की मिसाइल में है हवाई खतरों को बेअसर करने की क्षमता

भारतीय वायु सेना की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को मिलेगा बढ़ावा

नई दिल्ली (हि.स.)। भारत ने शुक्रवार को सुपरसोनिक आकाश-एनजी (न्यू जेनरेशन) मिसाइल का दो दिनों के भीतर दूसरा सफलतापूर्वक परीक्षण एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर), चांदीपुर, ओडिशा तट से किया। सतह से हवा में 30 किमी. की मारक क्षमता वाली वायु रक्षा प्रणाली का यह दूसरा परीक्षण भी पूरी तरह सफल रहा। आकाश मिसाइल की अगली पीढ़ी आकाश-एनजी की मारक क्षमता 40-50 किमी. तक है। 96 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह देश का सबसे महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम है जिसे अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है।

नई पीढ़ी की आकाश-एनजी मिसाइल का आज 11.45 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया जिसमें मल्टीफंक्शन रडार, कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम और तैनाती विन्यास में भाग लेने वाले लांचर जैसी सभी हथियार प्रणालियां थीं। यह परीक्षण उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के खिलाफ किया गया जिसे मिसाइल ने सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया। मिसाइल प्रणाली को हैदराबाद की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) ने डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया है। इस प्रक्षेपण को भारतीय वायु सेना के नुमाइंदों ने देखा।

चांदीपुर, आईटीआर में उड़ान डेटा को हासिल करने के लिए इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज स्टेशनों को तैनात किया। इन प्रणालियों द्वारा कैप्चर किए गए संपूर्ण उड़ान डेटा से संपूर्ण हथियार प्रणाली के दोषरहित प्रदर्शन की पुष्टि की गई है। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने तेज और फुर्तीले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए आवश्यक उच्चस्तरीय गतिशीलता का प्रदर्शन किया। यह परीक्षण उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के खिलाफ किया गया जिसे मिसाइल ने सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया। दो दिन पहले 21 जुलाई को किए गए परीक्षण में भी मिसाइल ने अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा था।

रक्षा प्रवक्ता के अनुसार आकाश-एनजी हथियार प्रणाली भारतीय वायु सेना की हवाई सुरक्षा क्षमता में शानदार इज़ाफ़ा करने वाली साबित होगी। दो दिन के परीक्षणों में उत्पादन एजेंसियों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने भी भाग लिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, बीडीएल, बीईएल, भारतीय वायु सेना और उद्योग को बधाई दी है। रक्षा विभाग के सचिव अनुसंधान एवं विकास विभाग और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह मिसाइल भारतीय वायु सेना को मजबूत करेगी।

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