विचार : क्यों बढ़ रही है धर्म परिवर्तन की घटनाएं ? सभी राज्यों को चेतना चाहिए

लेखक- अशोक भाटिया
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की सख्ती के बाद भी लव-जेहाद और धर्मांतरण की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कहीं बरगला कर तो कहीं लालच ओर धोखा देकर लोगों का धर्म परिर्वतन कराया जा रहा है। इसी तरह से करीब एक हजार लोगों का धर्मांतरण कराए जाने की एक घटना का पुलिस ने खुलासा करते हुए एक धार्मिक मुहिम चलाने वाले संगठन के दो लोगों को गिरफ्तार किया है, इन लोगों ने करीब एक हजार लोगों का धर्म परिर्वतन कराए जाने की बात कबूली है।पहले बाद लव-जेहाद की जो सामाजिक रूप से काफी घिनौना कृत्य है। लव-जेहाद की शिकार लड़कियों और महिलाओं को तो पता ही नहीं चलता है कि वह किस तरह से एक सम्प्रदाय विशेष की साजिश का शिकार हो जाती हैं, जिसे वह प्यार समझती हैं, वह लव-जेहाद होता है। इस हकीकत का पता जब लव-जेहाद की शिकार लड़कियों को चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इसको ऐसे समझा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश के जिला बरेली के इज्जनगर थाना क्षेत्र की अनुसूचित जाति की एक लड़की के साथ दूसरे सम्प्रदाय के एक युवक ने दुष्कर्म किया और दुष्कर्म का वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पहले तो उसका धर्म परिवर्तन कराया और बाद में जबर्दस्ती उससे निकाह कर लिया। बात यहीं तक नहीं रूकी, निकाह के बाद लड़का अपनी पत्नी पर दबाव बनाने लगा कि वह मायके से दहेज के रूप में सात लाख रुपए लेकर आए। लड़की रुपए की व्यवस्था नहीं कर पाई तो उसे घर से निकाल दिया गया।इस हैरान कर देने वाली घटना के खिलाफ किसी की चेतना नहीं जाग्रत हुई। कहीं कोई बवाल नहीं कटा, न दलितों पर अत्याचार के नाम पर हो-हल्ला मचाने वालों का दिल पसीजा और न ही किसी महिला आयोग, सामाजिक संगठन ने इसका संज्ञान लेना उचित समझा। जो नेता कथित रूप से आपसी विवाद में एक शख्स की दाढ़ी काटने की झूठी घटना को साम्प्रदायिक रंग देकर योगी सरकार को घेरने में लग जाते हैं, यदि वह उक्त मामले में भी ऐसा ही रवैया अपनाते तो उनका वोट बैंक और तुष्टिकरण की सियासत पर ‘ग्रहण’ लग सकता था, इसीलिए सब मौन साधे रहे। किसी ने योगी सरकार से सवाल नहीं किया। यह पहली बार नहीं हुआ है, बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं, लेकिन तुष्टिकरण की सियासत करने वाले दल और नेता हमेशा ही मौके की नजाकत को भांप कर मुंह बंद रखते हैं।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी देश तभी सभ्य, विकसित व मजबूत राष्ट्र बन पाता है जब इसके नागरिक आपस में प्रेम-भाव रख कर एक-दूसरे से सहयोग करके समूचे समाज के विकास के लिए काम करते हैं। समाज स्वाभाविक रूप से विविधताओं से भरा होता है अतः इसकी एकता का मूल मन्त्र एक-दूसरे के प्रति सम्मान भाव पर टिका रहता है। लोकतन्त्र में राजनीति का लक्ष्य इसी भाईचारे को प्रगाढ़ कर देश के विकास का होता है। राजनीति चूंकि सत्ता तक पहुंचने का माध्यम होती है और सत्ता लोगों के व देश के विकास के उद्देश्य से हासिल की जाती है अतः नागरिकों के बीच नफरत फैलाने का काम जो लोग व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से करते हैं वे देश को तोड़ने की कार्रवाई में संलग्न समझे जाते हैं। भारतीय संविधान में इस बाबत विस्तृत व्याख्या इस प्रकार की गई है कि भारतीय दंड विधान की धारा 153 के तहत सामाजिक विद्वेश फैलाने अर्थात दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने वाले कृत्य को राष्ट्र विरोधी कार्रवाई के समरूप रखते हुए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। परन्तु हम देख रहे हैं कि जैसे-जैसे छह राज्यों के विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं वैसे- वैसे ही समुदायगत नफरत फैलाने की गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं । इसे हम स्वतन्त्र भारत की राजनीतिक त्रासदी के अलावा और कुछ नहीं कह सकते क्योंकि ऐसा करने से वोटों का ध्रुवीकरण जिस सम्प्रदायगत आधार पर होता है उससे देश भीतर से कमजोर होकर नफरत की आग में सुलगने लगता है।
यह नफरत किसी देश को किस प्रकार खोखला बनाती है इसका उदाहरण वह नाजायज मुल्क पाकिस्तान है जो भारत के साथ ही आजाद हुआ था मगर आज उसके हाथ में वक्त ने ‘भीख का कटोरा’ पकड़ा दिया है। कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। उसका अभिप्राय इस सीमावर्ती राज्य की शान्ति भंग करने के साथ ही पूरे देश में सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाने के सिवाय कुछ भी नहीं है। ऐसी घटनाएं हमें सचेत कर रही हैं कि भारत को कमजोर करने वाली कुछ ऐसी ताकतें भेष बदल कर हमारे समाज को कमजोर करके देश के विकास को अवरुद्ध करना चाहती हैं। एक तरफ जब पूरा भारत कोरोना जैसी भंयकर बीमारी से जूझ रहा है और बार-बार इसके संक्रमण से निकल कर पुनः इसके जंजाल में फंसता जा रहा है तो नागरिकों को आपस में ही लड़ाने की इन हरकतों को हम राष्ट्रविरोधी कार्रवाई से इतर रख कर नहीं देख सकते।
जम्मू-कश्मीर राज्य में तो 1861 से गोहत्या पर प्रतिबन्ध है और इस राज्य में कभी गोहत्या का मुद्दा कोई विषय ही नहीं रहा। परन्तु हाल के वर्षों में कुछ अजीबोगरीब किस्से सुनने को जरूर मिल रहे हैं। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में धर्मान्तरण की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। यदि किसी भी व्यक्ति का जोर जबर्दस्ती या लालच से धर्मान्तरण किया जाता है तो वह कानूनन अपराध है और उसके लिए सजा मुकर्रर है। भारत हिन्दू-मुसलमान सभी का घर रहा है और विशेषकर हिन्दू धर्म में कभी भी किसी धर्म को दोयम स्थान पर रखने का प्रयास नहीं किया। अतः कुछ इस्लामी जेहादी यदि दूसरे धर्मों से धर्म परिवर्तन कराने की हिमाकत करते हैं तो वे भारतीय कहलाने के लायक नहीं हैं।
स्वतन्त्र भारत में 1968 के करीब तमिलनाडु में सामूहिक धर्म परिवर्तन की घटनाएं बहुत तेज हो गई थीं। तब आरोप लगा था कि इस धर्म परिवर्तन का कारण ‘पेट्रो डालर है। सऊदी अरब से धर्म परिवर्तन कराने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। परन्तु ऐसे मुद्दों पर टिप्पणी करते समय हमें संयम से काम लेना चाहिए और न्यायालय में अपराध सिद्ध हो जाने के बाद ही जुबान खोलनी चाहिए क्योंकि ‘बयान बहादुरी’ समाज में सिर्फ नफरत ही फैलाती है।

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