वाराणसी : गंगा दशहरा पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
-प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़
वाराणसी (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि ‘गंगा दशहरा’ पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और दान पुण्य किया। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ दरबार, श्री संकटमोचन सहित प्रमुख हनुमत मंदिरों में भी हाजिरी लगाई।
गंगा दशहरा पर श्रद्धालु भोर चार बजे से दिन चढ़ने तक गंगा स्नान करने के लिए घाटों पर नंगे पांव पहुंचते रहे। स्नान पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी, भैसासुर, खिड़किया घाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी रही। इसमें शहरियों की तुलना में ग्रामीणों की भीड़ ज्यादा रही। स्नानार्थियों के चलते गोदौलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा नजारा रहा। जिला प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा दरबार तक सुरक्षा व्यवस्था के साथ यातायात भी प्रतिबंधित किया है।
मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण पुराणों के अनुसार जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में वृष लग्न में हुआ था। आज ही के दिन हजारों साल पहले गंगा धरती पर आईं थी। पापों का नाश कर प्राणियों का उद्धार करने के उद्देश्य से धरती पर ही रह गईं। तब से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
शाम को मां गंगा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार, दुग्धाभिषेक के साथ षोडशोपचार पूजन
गंगा दशहरा पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से किशोरी रमण दूबे ‘बाबू महाराज’ की अगुवाई में शाम को मां गंगा के प्रतिमा का भव्य श्रृंगार कर विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच षोडशोपचार पूजन किया जाएगा। बाबू महाराज ने बताया कि गंगा दशहरा पर शाम को मां गंगा की महाआरती की जाएगी। इसी क्रम में गंगा सेवा निधि की ओर से दशाश्वमेधघाट पर भव्य गंगा आरती की जाएगी। सनातनी भारतीय संस्कृति के स्नान पर्वों में गंगा दशहरा पर गंगा स्नान का खास महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से वर्ष भर गंगा स्नान करने बराबर के फल की प्राप्ति होती है।
श्रीधर/दिलीप