वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने कालभैरव-बाबा विश्वनाथ के दरबार में टेका मत्था
वाराणसी (हि.स.)। वाराणसी कमिश्नरेट के पहले पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश शनिवार को वाराणसी पहुंच गये। कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व काशी की परम्परा के अनुसार पुलिस कमिश्नर ने काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के दरबार में मत्था टेकने के बाद काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के स्वर्णशिखर वाले दरबार में हाजिरी लगाई।
दरबार में भोग आरती के बाद पहुंचे पुलिस कमिश्नर ने बाबा का विधि विधान से षोडशोपचार पूजन किया। मंदिर के पुजारी ने विधि विधान से पूजन कराने के बाद प्रसाद भी दिया। इसके पहले सर्किट हाउस में पहुंचने पर मातहत अफसरों ने उनकी अगवानी की।
मूल रूप से बिलासपुर के रहने वाले पुलिस कमिश्नर 1996 बैच के आईपीएस अफसर है। इसके पहले आगरा रेंज में एडीजी व आईजी रेंज के पद पर तैनात रहे।
गौरतलब हो कि,काशी में पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद पुलिस के प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते गुरूवार को कानपुर (नगर) और वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके पहले योगी सरकार ने लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की थी।
वाराणसी में आईपीएस ए. सतीश गणेश को पुलिस कमिश्नर के पद पर पहली तैनाती दी गई। माना जा रहा है कि कमिश्नरेट सिस्टम से आम लोगों को फायदा होता है। अभी किसी भी जिले में छह से सात आईपीएस होते हैं। नया सिस्टम लागू होने पर एक जिले में 15 से 20 आईपीएस तैनात होंगे। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं। कानून व्यस्था से जुड़े मामलों में अब पुलिस कमिश्नर सीधे निर्णय ले सकेंगे।
जिले में कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मैजिस्टेरियल पावर पुलिस को मिल गई है। इससे पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी। इन कार्यो को करने के लिए अब डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके पहले इन कार्यो के लिए डीएम की सहमति जरूरी होती थी।