लोस चुनाव : सीतापुर संसदीय सीट में 62 सालों में सिर्फ तीन ने छुआ 50 फीसदी का आंकड़ा

लखनऊ (हि.स.)। सीतापुर लोकसभा सीट पर पहली बार आम चुनाव 1952 में हुआ था। अब तक यहां 17 लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। जिसमें 184 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई है। इस दरम्यान कुल मतदान में 50 फीसदी के जादुई आंकड़ें तक महज तीन सांसद ही पहुंचने में कामयाब रहे हैं। सबसे ज्यादा मत पाने का हरगोविंद का रिकॉर्ड आज तक कायम है। अब तक यहां 17 लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। जिसमें 184 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई है। इस दरम्यान कुल मतदान में 50 फीसदी के जादुई आंकड़े तक महज तीन सांसद ही पहुंचने में कामयाब रहे हैं। सबसे ज्यादा मत पाने का हरगोविंद का रिकॉर्ड आज तक कायम है।

जगदीश चंद्र को मिले थे 56.67 फीसदी वोट

पांचवीं लोकसभा के साल 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश चंद्र दीक्षित के खाते में 56.62 फीसदी वोट आए। इस सीट पर पहली बार किसी प्रत्याशी ने 50 फीसदी से ऊपर वोट हासिल किए थे। भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार जयनारायण राठी 33.92 फीसदी मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। इस चुनाव में 10 उम्मीदवार मैदान में थे। कुल 2 लाख 35 हजार 388 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

1977 के चुनाव में हरगोविंद को मिले 62.73 फीसदी वोट

आपातकाल के बाद 1977 के आम चुनाव में भारतीय लोकदल (बीएलडी) उम्मीदवार हरगोविंद वर्मा को रिकार्ड 62.73 फीसदी वोट देकर सीतापुर ने दिल्ली भेजा। हरगोविंद ने मौजूदा सांसद जगदीश चंद्र को हराया था। दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के जगदीश चंद्र को 27.24 फीसदी मतों ही हासिल हुए। इस चुनाव में 3 लाख 16 हजार 664 मतदाताओं ने वोट डाले थे। इस चुनाव में पांच उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी।

कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी को 50.25 फीसदी वोट मिले

सीतापुर संसदीय सीट पर 50 फीसदी वोट पाने का करिश्मा कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र कुमारी बाजपेई ने 1984 के आम चुनाव में किया था। कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र कुमारी ने 50.25 प्रतिशत मत हासिल कर कुर्सी पर कब्जा जमाया था। लोकदल प्रत्याशी हरगोविंद वर्मा 25.01 फीसदी मत हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में 11 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें एक महिला प्रत्याशी शामिल थी। इस चुनाव में कुल 3 लाख 79 हजार 569 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

पिछले चार चुनाव का हाल

2004 से 2019 तक इस सीट पर हुए चार चुनाव में कोई भी विजेता 50 फीसदी वोट शेयर हासिल नहीं कर पाया। 2004 में बसपा के राजेश वर्मा यहां से जीते। वर्मा को 28.78 फीसदी वोट मिले। 2009 में इस सीट से बसपा की कैसर जहां 34.01 फीसदी वोट पाकर विजयी रही। 2014 में देशभर में चली मोदी लहर में यहां से भाजपा के राजेश वर्मा जीतकर दिल्ली पहुंचे। वर्मा को 40.66 फीसदी वोट से ही संतोष करना पड़ा। 2019 के आम चुनाव में दूसरी बार भाजपा के राजेश वर्मा यहां से विजेता रहे। इस बार वर्मा का वोट शेयर बढ़कर 48.3 फीसदी हो गया, लेकिन 50 फीसदी का जुदाई आंकड़ा वो छू नहीं पाए।

डॉ.आशीष वशिष्ठ

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