लोस चुनाव : फूलपुर में भाजपा लगाएगी हैट्रिक या दौड़ेगी सपा की साइकिल!

लखनऊ (हि.स.)। संगम नगरी प्रयागराज जिले में दो संसदीय सीटें इलाहाबाद और फूलपुर आती हैं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू फूलपुर सीट से तीन बार सांसद चुने गए थे। यह सीट एक समय में ‘नेहरू सीट’ के नाम से जानी जाती थी। फूलपुर की ऐतिहासिक सीट ने जवाहर लाल नेहरू, विजय लक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्र, वीपी सिंह, कमला बहुगुणा और केशव प्रसाद मौर्य समेत तमाम सियासी दिग्गजों को देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचाया है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 51 फूलपुर में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

फूलपुर संसदीय सीट का इतिहास

1952 के आम चुनाव से पहले फूलपुर सीट इलाहाबाद ईस्ट कम जौनपुर वेस्ट कहलाती थी। तब यहां से 2 लोग सांसद चुने गए थे। हालांकि 1957 के चुनाव में तब की इलाहाबाद पूर्व और जौनपुर पश्चिम लोकसभा सीट को मिलाकर सीट का नाम फूलपुर कर दिया गया।

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1952 में पहली लोकसभा में पहुंचने के लिए इसी सीट को चुना और लगातार तीन बार 1952, 1957 और 1962 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज कराई थी। नेहरू के चुनाव लड़ने के कारण ही इस सीट को ‘वीआईपी सीट’ का दर्जा मिल गया। नेहरू के निधन के बाद इस सीट की जिम्मेदारी उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने संभाली और उन्होंने 1967 के चुनाव में जनेश्वर मिश्र को हराकर नेहरू और कांग्रेस की विरासत को आगे बढ़ाया। लेकिन 1969 में विजय लक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि बनने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया। यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने नेहरू के सहयोगी केशवदेव मालवीय को उतारा लेकिन संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जनेश्वर मिश्र ने उन्हें पराजित कर दिया। इसके बाद 1971 में यहां से पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए।

1977 से लेकर 1991 तक यहां भारतीय लोकदल और जनता दल का कब्जा रहा। 1996, 98, 99 और 2004 के चुनाव में सपा यहां से जीती। 2009 में बसपा के कपिलमुनि करवरिया ने पहली बार यहां जीत का खाता खोला। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में फूलपुर जैसी मुश्किल सीट पर भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य ने यहां पहली बार जीत का कमल खिलाया। 2019 में भाजपा की केशरी देवी ने यहां जीत का झंडा गाड़ा।

पिछले दो चुनावों का हाल

2019 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय सीट के चुनावी परिणाम को देखें तो यहां पर बीजेपी और सपा के बीच मुख्य मुकाबला था। भाजपा प्रत्यशी केशरी देवी पटेल को चुनाव में 544,701 (55.63 प्रतिशत) वोट मिले तो सपा के पंधारी यादव के खाते में 372,733 (38.07 प्रतिशत) वोट आए थे। केशरी देवी को चुनाव में 171,968 मतों के अंतर से जीत मिली।

बात 2014 के चुनाव की कि जाए तो इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी केशव प्रसाद मौर्य ने 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की। मौर्य के खाते में 503,564 (52.43 प्रतिशत) वोट आए। सपा के प्रत्याशी धर्मराज सिंह पटेल को 195,255 (20.33 प्रतिशत) वोट मिले। बसपा और कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने फूलपुर से वर्तमान सांसद केशरी देवी पटेल का टिकट काटकर विधायक प्रवीण पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है। सपा से अमर नाथ सिंह मौर्य और बसपा से जगन्नाथ पाल चुनाव मैदान में हैं।

फूलपुर सीट का जातीय समीकरण

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखें तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 20.47 लाख से अधिक है। इनमें सबसे अधिक 3 लाख कुर्मी, यादव 2 लाख, पिछड़ी जाति के अन्य मतदाताओं की संख्या 3 लाख से अधिक है। करीब ढाई लाख मुस्लिम व ढाई लाख से अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। करीब दो लाख ब्राह्मण और इतने ही कायस्थ वोटर भी हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

फूलपुर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें शामिल है। इसमें फाफामऊ, सोरांव, फूलपुर, प्रयागराज पश्चिम और प्रयागराज उत्तर सीट शामिल है। सोरांव सीट पर सपा और बाकी चार पर भाजपा काबिज है।

जीत का गणित और चुनौतियां

फूलपुर सीट पर पिछड़ों की निर्णायक भूमिका रहती है। इनमें भी कुर्मी मतदाताओं की बड़ी भूमिका होती है। पिछले चार दशकों में हुए 12 चुनाव हुए और 11 बार पिछड़ी जाति के उम्मीदवार विजयी रहे। इस जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने पटेल को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, सपा ने यादव व मुस्लिम मतदाताओं के साथ अन्य पिछड़ी जातियों के ध्रुवीकरण को ध्यान में रखते हुए मौर्य प्रत्याशी मैदान में उतारा है। सपा की पूरी कोशिश चुनाव को कुर्मी बनाम अदर बैकवर्ड बनाने की भी है। बसपा की भी एक लाख से अधिक जाटव व मुस्लिम मतदाताओं के साथ अदर बैकवर्ड मतदाताओं पर नजर है। इस समीकरण को ध्यान में रख पार्टी ने जगन्नाथ पाल को उम्मीदवार बनाया है। सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन होने से भाजपा के लिए इस बार राह चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

स्थानीय पत्रकार विनय मिश्र के अनुसार, फूलपुर में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। हालांकि राममंदिर की गूंज संगमनगरी में सुनाई दे रही है। किसी एक दल के पक्ष में हवा या माहौल यहां दिखाई नहीं दे रहा।

फूलपुर से कौन कब बना सांसद

1952 जवाहर लाल नेहरू (कांग्रेस)

1957 जवाहर लाल नेहरू (कांग्रेस)

1962 जवाहर लाल नेहरू (कांग्रेस)

1967 विजय लक्ष्मी पंडित (कांग्रेस)

1969 जनेश्वर मिश्र (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी) उपचुनाव

1971 विश्वनाथ प्रताप सिंह (कांग्रेस)

1977 कमला बहुगुणा (भारतीय लोकदल)

1980 बी0डी0 सिंह (जनता पार्टी सेक्यूलर)

1984 रामपूजन पटेल (कांग्रेस)

1989 रामपूजन पटेल (जनता दल)

1991 रामपूजन पटेल (जनता दल)

1996 जंग बहादुर सिंह पटेल (सपा)

1998 जंग बहादुर सिंह पटेल (सपा)

1999 धर्मराज सिंह पटेल (सपा)

2004 अतीक अहमद (सपा)

2009 कपिलमुनि करवरिया (बसपा)

2014 केश्व प्रसाद मौर्य (भाजपा)

2019 केशरी देवी (भाजपा)

डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश

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