लोस चुनाव : फूलपुर में जब नेहरू और लोहिया थे आमने-सामने
लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट ने सियासी सीढ़ी चढ़ाकर कइयों को ऊंचे पदों पर बैठाया तो दिग्गजों को हार का मुंह दिखाकर जमीन का एहसास भी दिलाया। फूलपुर में कई बार दिग्गजों का सामना हुआ। 1962 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और प्रसिद्ध समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया की लड़ाई काफी चर्चा में रही।
इस सीट पर अब तक कई दिग्गज नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है। इनमें समाजवाद के पुरोधा कहे जाने वाले डॉ.राम मनोहर लोहिया से लेकर बसपा संस्थापक कांशीराम, अपना दल संस्थापक डॉ.सोनेलाल पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी मो.कैफ तक के नाम शामिल हैं।
1962 के चुनाव में नेहरू के मुकाबले लोहिया
जवाहर लाल नेहरू को टक्कर देने मैदान में राम मनोहर लोहिया उतर गए। सीट नेहरू के लिए सुरक्षित मानी जाती थी। प्रधानमंत्री को भला कौन नहीं जानता, पर लोहिया का नाम भी कम नहीं था। चुनाव हुआ, परिणाम पर सबकी नजरें थीं। लोहिया नेहरू से हार गए। कांग्रेस प्रत्याशी जवाहर लाल नेहरू को 118,931 (61.62 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राम मनोहर लोहिया को 54,360 (28.17 प्रतिशत) वोट हासिल हुए। नेहरू ने ये चुनाव 64,571 वोटों के अंतर से जीता। इस चुनाव में 5 प्रत्याशी मैदान में थे। कुल 1 लाख 92 हजार 994 वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग किया। इस चुनाव में कुल 49.31 फीसदी मतदान हुआ। गौरतलब है कि, जवाहर लाल का मानना था कि लोहिया जैसे आलोचक का संसद में होना जरूरी है। अपनी इन्हीं बातों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लोहिया को राज्यसभा पहुंचा दिया। इस घटनाक्रम की चर्चा देश की राजनीति में रही।
लोहिया ने पहला चुनाव चंदौली से लड़ा
दूसरी लोकसभा के लिए साल 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में डॉ.लोहिया उप्र की चंदौली सीट से चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई। 1962 में फूलपुर सीट से मिली हार के बाद डॉ. राममनोहर लोहिया ने वर्ष 1963 में मात्र दो सभाएं कर फर्रुखाबाद उपचुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर शानदार जीत दर्ज की। मार्च 1967 में वह उत्तर प्रदेश के कन्नौज संसदीय क्षेत्र से चौथी लोक सभा के लिए पुन: चुने गए।
डॉ.आशीष वशिष्ठ/राजेश